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ज्ञानवापी विवाद : इलाहाबाद हाई कोर्ट में हिन्दू पक्ष ने कहा – श्रृंगार गौरी मामले में पूजा स्थल कानून लागू नहीं होगा

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प्रयागराज, 9 दिसम्बर। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की नियमित पूजा-अर्चना की अनुमति से जुड़े मुकदमे के संबंध में हिन्दू पक्ष के वकील ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर को ढहाने मात्र से वह भूमि एक मंदिर की भूमि होने की अपनी प्रकृति नहीं खोती और इस प्रकार से पूजा स्थल कानून इस मामले में लागू नहीं होता।

उच्च न्यायालय 13 दिसम्बर को करेगा सुनवाई

हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा कि उक्त भूमि पर भारत की आजादी से काफी पहले से मंदिर स्थित था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई 13 दिसम्बर को करेगा। पूर्व में तय तिथि के मुताबिक, गुरुवार को इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। हालांकि न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर ने थोड़ी देर सुनवाई के बाद अगली सुनवाई 13 दिसम्बर को करने का निर्देश दिया।

पांच हिन्दू महिलाओं ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना की अनुमति मांगते हुए वाराणसी की अदालत में वाद दायर किया है, जिसकी पोषणीयता पर अंजुमन इंतेजामिया की आपत्ति निचली अदालत ने खारिज कर दी। अंजुमन इंतेजामिया ने निचली अदालत के इसी आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दे रखी है।

सुनवाई के दौरान, हिन्दू पक्ष के वकील ने यह दलील भी दी कि अंग्रेजों के समय दायर दीन मोहम्मद मामला मौजूदा मुकदमे में लागू नहीं होगा क्योंकि उस मामले में हिन्दू पक्ष से किसी भी व्यक्ति को पक्षकार नहीं बनाया गया था। दीन मोहम्मद मामला, विवादित स्थल पर तीन गुंबदों को वक्फ की संपत्ति घोषित करने के लिए दायर किया गया था।

उल्लेखनीय है कि अंजुमन इंतेजामिया की याचिका खारिज करते हुए वाराणसी के जिला जज ने 12 सितम्बर के अपने आदेश में कहा था कि इन पांच हिन्दू महिलाओं का वाद, पूजा स्थल अधिनियम, वक्फ कानून और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम से बाधित नहीं होता।