नई दिल्ली, 30 मई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का कहना है कि 2000 रुपये के नकली नोटों के मुकाबले में 500 रुपये के काफी ज्यादा नकली नोट चलन में हैं। मंगलवार को जारी आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 में 500 मूल्य वर्ग के नकली नोटों की संख्या 14.4% बढ़कर 91,110 (नोटों की संख्या) हो गई है। हालांकि इसी अवधि के दौरान 2,000 के नोट घटकर 9,806 (नोटों की सख्या) हो गए हैं।
पिछले वर्ष के मुकाबले 10, 100 व 2000 के नकली नोटों की संख्या में गिरावट
आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 20 और 500 (नए डिजाइन) के मूल्य वर्ग में पाए गए नकली नोटों में 8.4 प्रतिशत और 14.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी जबकि 10, 100 और 2000 के मूल्य वर्ग में पाए गए नकली नोटों में 11.6 प्रतिशत की गिरावट आई है।’
नकली भारतीय मुद्रा नोटों की कुल संख्या में मामूली गिरावट
हालांकि बैंकिंग क्षेत्र में पाए गए नकली भारतीय मुद्रा नोटों की कुल संख्या 2022-23 में घटकर 2,25,769 रह गई, जो पिछले वित्त वर्ष में 2,30,971 थी। केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है, “2022-23 के दौरान, बैंकिंग क्षेत्र में पाए गए कुल नकली भारतीय मुद्रा नोटों में से 4.6 प्रतिशत रिजर्व बैंक में और 95.4 प्रतिशत अन्य बैंकों में पाए गए।”
2020-21 में गिरावट के बाद, 2021-22 में नकली नोटों में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें 500 मूल्य वर्ग के नकली नोटों में 102 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 के दौरान सुरक्षा मुद्रण पर कुल खर्च 4,682.80 करोड़ रुपये था जबकि पिछले वर्ष यह 4,984.80 करोड़ रुपये था।
इस बीच, 19 मई के एक परिपत्र में, आरबीआई ने 2000 मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को संचलन से वापस लेने की घोषणा की। इसने बैंकों को तत्काल प्रभाव से 2000 मूल्य वर्ग के बैंकनोट जारी करना बंद करने की सलाह दी। भारत के लोगों को 30 सितम्बर, 2023 तक इन नोटों को जमा करने या बदलने के लिए कहा गया है। उल्लेखनीय है कि सितम्बर में निर्धारित समय सीमा के बाद भी 2000 रुपये के नोट वैध मुद्रा के रूप में बने रहेंगे।