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RBI का 2 बैंकों पर चला डंडा, एक का रद्द किया लाइसेंस तो दूसरे पर लगाया जुर्माना

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मुंबई, 6 जुलाई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कर्नाटक स्थित शिमशा सहकार बैंक नियमित, मद्दुर की बिगड़ती वित्तीय हालत को देखते हुए उसका लाइसेंस रद्द कर दिया है। आरबीआई ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि बैंक पांच जुलाई, 2024 को कामकाजी समय खत्म होने के बाद बैंकिंग कामकाज बंद कर देगा। कर्नाटक की सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से इस सहकारी बैंक को बंद करने का आदेश जारी करने तथा बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का भी अनुरोध किया गया है।

इस बैंक का हरेक जमाकर्ता जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से अपनी जमा राशि पर पांच लाख रुपये तक की दावा राशि पाने का हकदार होगा। आरबीआई ने कहा कि इस सहकारी बैंक के लगभग 99.96 प्रतिशत जमाकर्ता डीआईसीजीसी से अपनी जमा राशि की पूरी राशि प्राप्त करने के हकदार हैं। आरबीआई ने कहा कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं और इसका कामकाज जारी रहना इसके जमाकर्ताओं के हितों के लिए हानिकारक है।

बयान के मुताबिक, “अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के कारण बैंक अपने जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान कर पाने में असमर्थ होगा।” आरबीआई ने पंजाब नेशनल बैंक पर 1.31 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि उसने ‘अपने ग्राहक को जानो’ (केवाईसी) और ‘ऋण और अग्रिम’ से संबंधित कुछ निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) पर 1.31 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने 31 मार्च, 2022 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में वैधानिक निरीक्षण किया। उसके बाद बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था। नोटिस को लेकर बैंक के जवाब पर विचार करने के बाद, आरबीआई ने पाया कि पीएनबी ने सब्सिडी / रिफंड/ रिम्बर्समेंट के माध्यम से सरकार से प्राप्त होने वाली राशि के एवज में दो राज्य सरकार के स्वामित्व वाले निगमों को कार्यशील पूंजी मांग ऋण मंजूर किए।

रिजर्व बैंक ने कहा कि साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाता इस बैंक के कुछ खातों में व्यावसायिक संबंधों के दौरान प्राप्त ग्राहकों की पहचान और उनके पते से संबंधित रिकॉर्ड को संरक्षित करने में विफल रहे। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह जुर्माना विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर कोई प्रभाव डालना नहीं है।

 

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