मुंबई, 8 अक्टूबर। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती महंगाई और कोरोना की दूसरी लहर के बाद आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लौटने का हवाला देते हुए रेपो दर तथा अन्य नीतिगत दरों को यथावत रखने का फैसला किया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समीति की शुक्रवार को समाप्त तीन दिवसीय द्विमासिक समीक्षा बैठक में सभी नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया गया। रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर को 4.25 प्रतिशत और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। नकद आरक्षी अनुपात चार प्रतिशत और एसएलआर 18 प्रतिशत पर बना रहेगा।
शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद मीडिया कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले वर्ष कोरोना के शुरू होने के बाद से यह मौद्रिक नीति की 12वीं घोषणा है और इस दौरान 100 से अधिक उपाय किए गए हैं। अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है।
गौरतलब है कि छह अक्टूबर को रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक शुरू हुई थी, जिसके रिजल्ट आज जारी किए गए। केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार मई, 2020 में रेपो दर में बदलाव किया था। मई महीने में आरबीआई ने रेपो रेट्स में 0.40 फीसदी की कटौती की थी, जिसके बाद रेपो रेट घटकर चार फीसदी हो गया था।