नई दिल्ली, 31 अगस्त। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को स्पष्ट किया कि किन वजहों से वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर कमजोर रही।
शक्तिकांत दास ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के मद्देनजर सरकारी खर्च में कमी होने से अप्रैल-जून तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 15 माह के निचले स्तर 6.7 प्रतिशत पर आ गई।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के लिए 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। दास ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही के लिए 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। हालांकि, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के पहले अग्रिम अनुमान के आंकड़ों में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही।’
GDP में गिरावट चिंता की बात नहीं
RBI गवर्नर ने कहा, ‘GDP में गिरावट चिंता की बात नहीं है। मुझे लगता है कि जीडीपी वृद्धि के लिए जिम्मेदार मुख्य कारकों जैसे उपभोग, निवेश, विनिर्माण, सेवाओं और निर्माण ने सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है। लेकिन दो पहलुओं ने इसे थोड़ा नीचे खींच दिया। पहला, यह गिरावट केंद्र और राज्य सरकारों का खर्च घटने की वजह से हुई है। दूसरी चीज जो थोड़ी कम रही वह थी, वह कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर, जो लगभग 2 प्रतिशत या उससे कम की दर से बढ़ी।’
आगामी तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि को आवश्यक समर्थन मिलने की उम्मीद
दास ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में सरकारी खर्च बढ़ेगा और वृद्धि को आवश्यक समर्थन मिलेगा। मानसून बहुत अच्छा रहा है और इसलिए कृषि क्षेत्र के बारे में हर कोई आशावादी और सकारात्मक है। इन हालात में, हमें पूरा विश्वास है कि आरबीआई के अनुमान के मुताबिक 7.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर आने वाली तिमाहियों में संभव होगी।’
UPI के कई और देशों तक बढ़ने की संभावना
शक्तिकांत दास ने इसी क्रम में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के और कई देशों तक बढ़ने की संभावना जताई है। उन्होंने कहा, ‘UPI पहले ही QR कोड और फास्ट पेमेंट सिस्टम के जरिये कई देशों में मौजूद है और कई अन्य देशों के साथ इस पर चर्चा चल रही है। हमें उम्मीद है कि UPI वैश्विक स्तर पर और बढ़ेगा।’
उन्होंने बीते दिनों मुंबई में कार्यक्रम में कहा था कि इस दिशा में पहले से ही भूटान, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, यूएई, मॉरीशस, नामीबिया, पेरू, फ्रांस और कुछ अन्य देशों के साथ उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इन प्रयासों से दुनियाभर में भारत की पहल को अपनाने के लिए सकारात्मक रुख का पता चलता है।