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रविचंद्रन अश्विन ने तोड़ी चुप्पी – ‘WTC फाइनल की एकादश में जगह न मिलना मेरे लिए सेटबैक नहीं था’

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नई दिल्ली, 16 जून। विश्व टेस्ट रैंकिंग में शीर्षस्थ गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल के लिए भारतीय एकादश में शामिल नहीं किए जाने पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा है कि मौका मिलता तो उन्हें खुशी होती, लेकिन एकादश में जगह न दिया जाना उनके लिए कोई आघात नहीं था।

गौरतलब है कि अश्विन को आश्चर्यजनक रूप से WTC फाइनल के लिए बेंच पर बैठा दिया गया था क्योंकि भारत ने केवल एक विशेषज्ञ स्पिनर के साथ जाने का विकल्प चुना था। भारत को उस मैच में 209 रनों के बड़े अंतर से पराजय झेलनी पड़ी थी।

‘मैं बेशक खेलना चाहता क्योंकि टीम को फाइनल पहुंचाने में मेरा भी योगदान था

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 92 टेस्ट और 113 वनडे इंटरनेशनल मैचों के अनुभवी अश्विन ने मीडिया से बातचीत में अपने दिल की बात रखी। उन्होंने कहा, ‘मैं इस फाइनल में बेशक खेलना चाहता क्योंकि टीम को यहां तक पहुंचाने में मेरा भी योगदान था। पिछली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में मैंने अच्छी गेंदबाजी करते हुए चार विकेट चटकाए थे। 2018-19 के बाद विदेशी सरजमीं पर मेरा प्रदर्शन बढ़िया रहा है। मैंने टीम के लिए मैच विनिंग परफॉर्मेंस दी है।

दिग्गज ऑफ स्पिनर ने कहा, ‘मैं इसे (न चुने जाने को) कोच और कप्तान के नजरिए से देख रहा हूं और हालात समझने की कोशिश कर रहा हूं। जब हम आखिरी बार इंग्लैंड में थे तो वह टेस्ट सीरीज 2-2 से ड्रॉ पर खत्म हुई थी। तब टीम ने यह एहसास कर लिया था कि इंग्लैंड में विनिंग कॉम्बिनेशन चार पेसर और एक स्पिनर का है। शायद फाइनल से पहले उनके (भारतीय टीम मैनेजमेंट) के दिमाग में यही चल रहा होगा।’

भारतीय क्रिकेट में आ गया है अहंकार – एंडी रॉबर्ट्स

वहीं वेस्टइंडीज के दिग्गज तेज गेंदबाज सर एंडी रॉबर्ट्स ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार के बाद भारतीय टीम की आलोचना करते हुए कहा कि टीम में अहंकार घर कर गया है। रॉबर्ट्स ने टॉप ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के नहीं खेलने पर भी हैरानी जताई।

राबर्ट्स ने कहा, ‘अश्विन को बाहर करना हास्यास्पद था। आप अपना सर्वश्रेष्ठ स्पिनर कैसे नहीं चुन सकते? अविश्वसनीय। यह अहंकार है, जो भारतीय क्रिकेट में घर कर गया है और इस कारण भारत ने बाकी दुनिया को कम करके आंका है। भारत को यह तय करना होगा कि उसका फोकस क्या है, टेस्ट क्रिकेट या सीमित ओवरों की क्रिकेट। टी-20 क्रिकेट अपनी ही तरह से खेली जाएगा। वहां बल्ले और गेंद के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है।’

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