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दिल्ली से पटना तक रावण दहन, धूमधाम से मनाया गया दशहरा उत्सव

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नई दिल्ली, 5 अक्टूबर। देशभर में बुधवार को विजयादशमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां हिमाचल प्रदेश के मशहूर ‘कुल्लू दशहरा उत्सव’ में शामिल हुए वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक दशहरा के मौके पर ‘रावण दहन’ के कार्यक्रम में शामिल हुए।

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने दशहरा के दिन ही लंकाधिपति रावण पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए दशहरे के मौके पर देशभर में लोग ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ के प्रतीक रूप में ‘रावण दहन’ करते हैं। रावण के पुतले के साथ अपनी बुराइयों को जलाते हैं और उससे होने वाले प्रकाश के रूप में अपने जीवन में अच्छाई को उतारते हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान पर रावण दहन हुआ। दशहरा समारोह में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शामिल हुए।

पंजाब में दशहरा के मौके पर अमृतसर के दुर्गियाना मंदिर के बाहर ‘रावण दहन’ किया गया तो लुधियाना के दरेसी ग्राउंड में श्रद्धालों ने ‘रावण दहन’ किया। लद्दाख में लेह के पोलो ग्राउंड में ‘रावण दहन’ किया गया।

बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में ‘रावण दहन’ कार्यक्रम हुआ, जहां सीएम नीतीश कुमार शामिल हुए। वहीं उत्तराखंड में देहरादून के परेड ग्राउंड में ‘रावण दहन’ हुआ।

लखनऊ के ऐशबाग में जला राष्ट्रद्रोह के नाशका रावण

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इस बार रावण को ‘राष्ट्रद्रोह’ का प्रतीक बनाकर उसके ‘समूल नाश’ का संकल्प बनाकर रावण दहन किया गया। यहां लखनऊ की सबसे पुरानी ऐशबाग रामलीला कमेटी ने रावण दहन की थीम इस बार ‘धार्मिक कट्टरता और राष्ट्रद्रोह’ रखी थी।

करीब 70 फुट ऊंचे रावण के पुतले पर ‘सर तन से जुदा, कट्टरता और राष्ट्रद्रोह का समूल नाश हो’ लिखा गया था। रामलीला समिति के लोगों ने कहा, ‘देश से हम इन बातों को खत्म करना चाहते हैं, इसलिए यह थीम रखी गई है।’ वहीं मेघनाद और कुम्भकरण का पुतला नहीं जलाने का भी निर्णय किया गया।

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