लखनऊ, 14 मार्च। जयंत चौधरी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गठबंधन की पराजय के बाद सोमवार को अपने प्रदेश, क्षेत्रीय, जिला और सभी फ्रंटल संगठनों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया। पार्टी ने ट्विटर पर इस आशय की जानकारी साझा की है।
गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन जहां 273 सीटों (भाजपा 255, अपना दल-एस 12, निषाद पार्टी 6) के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है वहीं सपा गठबंधन को 111 सीटें (सपा 111, आरएलडी आठ, सुभासपा 6) मिल सकी थीं।
रालोद ने एक ट्वीट में लिखा, ‘राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह जी के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोकदल उत्तर प्रदेश के प्रदेश, क्षेत्रीय और जिला व सभी फ्रंटल संगठनों को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाता है। सपा के साथ गठबंधन करने के बाद यूपी चुनाव में रालोद को 8 सीटें हासिल हुई हैं।’
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह जी के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोकदल उत्तर प्रदेश के प्रदेश, क्षेत्रीय और जिला व सभी फ्रंटल संगठनों को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाता है।
— Rashtriya Lok Dal (@RLDparty) March 14, 2022
गठबंधन के दौरान रालोद को 33 सीटें मिली थीं, इनमें से आठ पर सफलता प्राप्त की है। आंकड़ों के मुताबिक रालोद को इस बार करीब तीन प्रतिशत वोट मिला है। वर्ष 2017 में उसे 1.78 प्रतिशत मत से संतोष करना पड़ा था। वैसे इस बार रालोद व सपा गठबंधन के सामने गन्ना मंत्री सुरेश राणा को शामली के थाना भवन विधानसभा सीट से पराजय झेलनी पड़ी। यहां पर रालोद के अशरफ अली चुनाव जीते हैं। शामली से रालोद प्रत्याशी प्रसन्न चौधरी ने भी जीत हासिल की है।
भाजपा की निगाहें अब विधान परिषद चुनाव में बहुमत पाने हासिल करने पर टिकीं
उधर, विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत के बाद भाजपा की नजरें अब स्थानीय निकाय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से नौ अप्रैल को होने वाले राज्य विधान परिषद की 36 सीटों पर द्विवार्षिक चुनाव में बहुमत हासिल करने पर लग गई हैं। निर्वाचन कार्यालय के सूत्रों ने सोमवार को बताया कि उच्च सदन की 36 सीटें 35 स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्रों में फैली हुई है, जहां नौ अप्रैल को एक साथ मतदान होगा और 12 अप्रैल को मतगणना होगी।
हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में दो-तिहाई बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आई भाजपा के लिए यह चुनाव खुद को सदन में सबसे बड़ी पार्टी बनाने का एक अवसर होगा और इस तरह उप्र विधानमंडल के दोनों सदनों में पार्टी को बहुमत मिल सकता है।