नई दिल्ली, 27 नवम्बर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने पार्टी के कमजोर हालात पर सवाल उठाते हुए इसके लिए सीधे तौर पर कांग्रेस नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है। अल्वी का मानना है कि चुनावी मेहनत और तैयारी के मामले में भाजपा से मुकाबला करना तो दूर, कांग्रेस कहीं ठहर ही नहीं पा रही है।
पूर्व सांसद राशिद अल्वी ने कहा कि भाजपा तो जमीन पर काम कर रही है, लेकिन कांग्रेस की मेहनत कहीं दिखाई नहीं देती। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आज हाशिये पर हैं। इसके लिए भी पार्टी लीडरशिप ही जिम्मेदार है। कांग्रेस के भीतर उठी इस आवाज ने संगठनात्मक हालत और नेतृत्व की शैली पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।
प्रियंका संभालें बागडोर, उनमें दिखती है इंदिरा गांधी की छवि
राशिद अल्वी ने कांग्रेस हाईकमान की कार्यशैली पर भी तीखा सवाल किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी से मुलाकात करना कांग्रेस नेताओं के लिए भी आसान नहीं है जबकि इंदिरा गांधी से तो आसानी से मुलाकात हो जाती थी। अल्वी ने सुझाव दिया कि प्रियंका गांधी को पार्टी की बागडोर संभालनी चाहिए क्योंकि प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी की छवि दिखती है।
किनारे लगा दिए गए हैं वरिष्ठ नेता
अल्वी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘कांग्रेस पार्टी के अंदर जो सीनियर लीडर्स हैं, उन्हें लगता है कि उन्हें जिम्मेदारी नहीं दी जा रही है। वे महसूस करते हैं कि उनकी तरफ से कांग्रेस को मजबूत किया जा सकता है। आज सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम उन लोगों की नाराजगी दूर करें, जिन लोगों को किनारे लगाया गया है। उन्हें मुख्यधारा में लाना चाहिए।’
कर्नाटक की हालत चिंताजनक, हाईकमान जल्द सुलझाएं यह मसला
यही नहीं राशिद अल्वी ने कर्नाटक में सीएम की कुर्सी को लेकर चल रही रस्साकशी भी खत्म करने की अपील की। भाजपा नेता और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का उदाहरण देते हुए राशिद अल्वी ने कहा कि हर पार्टी में उतार-चढ़ाव का दौर आता है। फिलहाल कर्नाटक में जो चल रहा है, वह चिंताजनक है।
राशिद अल्वी ने कहा, ‘हर राजनीतिक दल के साथ ऐसा होता है। हम जानते हैं कि राजस्थान में वसुंधरा राजे के साथ क्या हुआ। हमें कर्नाटक की चिंता है। कांग्रेस पार्टी के मुखिया राहुल गांधी नहीं बल्कि मल्लिकार्जुन खरगे हैं। उन्हें इस मसले को जल्दी से जल्दी हल करना चाहिए।’ दरअसल कर्नाटक में डीके शिवकुमार के समर्थकों का कहना है कि सरकार गठन के दौरान ढाई-ढाई साल के लिए करार हुआ था और अब सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए।

