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अयोध्या : ‘होरी खेलें रघुवीरा…अवध में होरी खेलें रघुवीरा’, रामलला ने पांच सदी बाद अपने धाम में खेली होली

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अयोध्या, 25 मार्च। ‘होरी खेलें रघुवीरा…अवध में होली खेलें रघुवीरा।’ यह मशहूर फिल्मी गाना रंगों के त्योहार होली के खास मौके पर आमजन की जुबान पर कुछ ज्यादा ही चढ़ा रहता है। लेकिन इस बार अवध की होली असल रंगत में दिखी, जब रामलला ने अपने धाम में होली खेली।

उल्लेखनीय है कि अब तक रामलला की होली उनके अस्थायी मंदिर में ही हो रही थी। फिलहाल करीब पांच शताब्दियों (495 वर्ष) के इंतजार के बाद जब रधुवीर अपने धाम में होली खेल रहे हैं तो भक्तों का उत्साह भी चरम पर है। देशभर से बड़ी संख्या में आए भक्तों ने प्रभु के धाम में पहुंच कर होली खेली और इस अद्भुत व अलौकिक दृश्य का भरपूर आनंद लिया।

रामलला ने कचनार के फूलों से खेली होली

सच पूछें तो गत 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह होली खास थी। श्वेत वस्त्र में रामलला ने अपने भव्य धाम में कचनार के फूलों से होली खेली। इसके अलावा पुष्पवर्षा कर प्रभु को होली के रंग का अहसास कराया गया। इस दौरान भक्तों का उत्साह चरम पर रहा।

प्रभु श्रीराम के ललाट पर चंदन के साथ गुलाब की पंखुड़ियों से भी सजावट की गई थी। प्रभु का ऐसा दिव्य स्वरूप देखकर हर कोई भावविहोर हो गया। रामलला के धाम का भी दिव्य नजारा दिखा। फूलों से पूरे मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया था। धाम में सुरक्षाकर्मी भी होली के रंग में रंगे दिखे। उन्होंने रामलला के दरबार में आने वाले बच्चों को भी अबीर गुलाल लगाया।

56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया

पुजारियों ने गर्भगृह में रामलला के ऊपर पुष्पों की वर्षा कर अपने आराध्य के साथ होली खेली। उनके राग भोग और श्रृंगार के क्रम में उन्हें अबीर गुलाल अर्पित किया गया। 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। पुजारी ने भी रामलला को होली के गीत सुनाए। वहीं राम जन्म भूमि परिसर में रामलला के दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु भी होली के गीतों पर नाचते, झूमते, गाते नजर आए। इसी तरह पूरी रामनगरी में होली का उल्लास छाया रहा।