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अफगानिस्तान संकट : महिला अधिकारों की रक्षा के लिए काबुल में रैली, तालिबान ने किया बल प्रयोग

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काबुल, 5 सितम्बर। संकटग्रस्त अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के गठन की तैयारियों के बीच महिला अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार दूसरे दिन काबुल की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, जिनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल थी। इस दौरान अफगान पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की एक रैली उस समय हिंसक हो उठी, जब प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति पैलेस की ओर बढ़ने लगे। तालिबान सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बल प्रयोग किया और उनपर आंसू गैस छोड़ी।

भविष्य की सरकार में उच्च पदों पर काम नहीं कर सकेंगी महिलाएं

ज्ञातव्य है कि काबुल और हेरात में ये विरोध प्रदर्शन तालिबान के उस बयान के बाद शुरू हुए हैं, जिसमें कहा गया है कि महिलाएं भविष्य की सरकार में उच्च पदों पर काम नहीं कर सकतीं। इसी क्रम में प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान में नए नेतृत्व के तहत अपने अधिकारों को संरक्षित करने की मांग कर रहे थे। रैली में ज्यादातर महिलाएं थीं, जो दूसरे दिन शहर की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं।

महल के पूर्व में पुल-ए-महमूद खान क्षेत्र से राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च करने वाली महिलाओं को पास जाने की अनुमति नहीं थी और तालिबान के विशेष बलों ने उनके खिलाफ आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

महिला प्रदर्शनकारियों की पिटाई, आंसू गैस का इस्तेमाल

एक समाजिक कार्यकर्ता सुराया ने कहा, ‘हम अपने अधिकारों की रक्षा के लिए महिलाओं के एक समूह में शामिल हो गए थे और पैलेस की ओर बढ़ रहे थे, जब तालिबान ने हम पर हमला किया, आंसू गैस छोड़ी और कई महिलाओं को पीटा।’

20 वर्षों की उपलब्धि को खोने नहीं दूंगी

एक पत्रकार अजिता ने कहा, ’25 साल पहले  जब तालिबान काबुल आए तो उन्होंने मुझे स्कूल जाने से रोका। मैंने तालिबान के पतन के बाद पिछले 20 वर्षों के दौरान अध्ययन किया और बेहतर भविष्य के लिए प्रयास किए। मैं इस उपलब्धि को खोने नहीं दूंगी।’

उधर तालिबान ने कहा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर होने के बाद उनके पास प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस का इस्तेमाल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

एक मीडिया कार्यकर्ता अब्दुलहक इमाद ने कहा, ‘प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन, विदेश मंत्रालय और सेदारत पैलेस की ओर बढ़ रहे थे, जो सभी सुरक्षित क्षेत्र में हैं। किसी को भी उन क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। तालिबान ने उन्हें रोकने के लिए कई बार कोशिश की। आखिरकार उन्हें महिलाओं को महल की ओर जाने से रोकना पड़ा।’

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