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राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू बोले – आपराधिक मामलों में सांसदों के पास कोई विशेषाधिकार नहीं

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नई दिल्ली, 5 अगस्त। राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि सांसद संसदीय सदन के कर्तव्यों का हवाला देते हुए आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी या हिरासत में लिए जाने अथवा पूछताछ से छूट का लाभ नहीं उठा सकते हैं।

संसद सत्र के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पूछताछ के लिए समन भेजे जाने और उसके बाद के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा, ‘पिछले 2-3 दिनों में जो कुछ भी हुआ है, मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं। संसद के सदस्यों के बीच एक गलत धारणा है कि उन्हें सत्र के दौरान एजेंसियों द्वारा कार्यों से विशेषाधिकार प्राप्त है। मैंने गंभीरता से विचार किया है और सभी पूर्व के सभी मामलों की जांच की है।’

सांसदों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त, लेकिन वे आम नागरिक से अलग नहीं होते

उपराष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 105 का हवाला देते हुए कहा, ‘सांसदों को बिना किसी बाधा के कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं। विशेषाधिकारों में से एक यह है कि किसी सांसद को दीवानी मामले में सत्र या समिति की बैठक शुरू होने से 40 दिन पहले और उसके 40 दिन बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। हालांकि, आपराधिक मामलों में, सांसद एक आम नागरिक से अलग पायदान पर नहीं होते हैं। इसका मतलब है कि सांसद को सत्र के दौरान या अन्यथा आपराधिक मामले में गिरफ्तार होने से छूट का आनंद नहीं मिलता है।’

खड़गे ने संसद सत्र के दौरान ईडी के समन पर उठाया था सवाल

दरअसल, राज्यसभा के सभापति का बयान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से गुरुवार को दिए गए उस तर्क के बाद सामने आया, जब उन्होंने कहा था कि ईडी का उन्हें समन अनुचित था क्योंकि सत्र चल रहा है। उन्होंने कहा था, ‘सत्र चल रहा है। मैं एक सांसद और विपक्ष का नेता हूं। लेकिन मुझे ईडी की ओर से समन तब मिला, जब संसद मुझसे जल्दी आने को कह रही थी। और दूसरी बात यह है कि मुझे दोपहर 12:30 बजे जाना है। मैं कानून के अनुसार इससे बचना नहीं चाहता। मैं कानून का पालन करना चाहता हूं। लेकिन जब संसद का सत्र चल रहा हो तो क्या मुझे बुलाना उचित है?’