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राजस्थान में मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी बोले – ‘हम वफादार नहीं होते तो कभी गिर गई होती कांग्रेस सरकार’

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जयपुर, 27 सितम्बर। राजस्थान में उभरे सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार विधायकों की अलग से आहूत बैठक को कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन द्वारा ‘अनुशासनहीनता’ करार दिए जाने से खफा राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी ने उनपर पलटवार किया है। उन्होंने कहा मंगलवार को कहा, ‘हम पार्टी के निष्ठावान लोग हैं और अगर हम वफादार नहीं होते तो राज्य की कांग्रेस सरकार कब की गिर गई होती।’

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक कराने यहां आए कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी माकन ने सोमवार को कहा था कि विधायक दल की आधिकारिक बैठक में न आकर उसके समानांतर बैठक करना अनुशासनहीनता है।

डॉ. महेश जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम लोगों की वफादारी पर कोई अगर शक खड़ा करेगा तो हम उस वफादारी को हर हाल में सिद्ध करेंगे। हमने आलाकमान के प्रति वफादारी में कोई कमी नहीं रखी। अगर हमारी वफादारी नहीं होती तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार कब की गिर गई होती। हम पार्टी के निष्ठावान लोग हैं।’

वफादारी तो उन्हें सिद्ध करनी है, जिनपर सवाल उठाए जा रहे

परोक्ष रूप से सचिन पायलट खेमे पर निशाना साधते हुए महेश जोशी ने कहा, ‘हम अपनी वफादारी सिद्ध कर चुके हैं। वफादारी तो उन्हें सिद्ध करना है, जिन पर सवाल उठाए जा रहे हैं।’

ज्ञातव्य है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार रात को मुख्यमंत्री के निवास पर होनी थी, लेकिन गहलोत के वफादार विधायक इसमें नहीं आए। इन विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक की, फिर वहां से विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी से मिलने गए और अपने इस्तीफे उन्हें सौंपे। इन विधायकों की ओर से धारीवाल, जोशी व प्रताप सिंह खाचरियावास जाकर माकन व मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले।

‘हमने कभी नहीं कहा कि हमारी तीनों बातें प्रस्ताव का हिस्सा बनें

माकन ने कहा कि विधायकों के तीन प्रतिनिधियों ने विधायक दल में लिए जाने वाले प्रस्ताव के लिए तीन शर्तें रखी। इसका जवाब देते हुए महेश जोशी ने कहा, ‘हमने कभी नहीं कहा कि हमारी ये तीनों बातें प्रस्ताव का हिस्सा बनें। हमने ये कहा कि हमारी ये तीनों बातें आप आलाकमान तक पहुंचा दीजिए। आलाकमान जो फैसला करेगा, उसके अनुसार हम एक लाइन का प्रस्ताव पारित करेंगे।’

जोशी ने कहा, ‘या तो हम अपनी बात (प्रभारी व पर्यवेक्षक) अजय माकन को समझा नहीं पाए या अजय माकन हमारी बात को समझ नहीं पाए। मैं नहीं जानता कि यह असंमजस कैसे हुआ।’

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