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हिमाचल प्रदेश में बारिश का कहर : बादल फटने से तीन लोगों की मौत, 50 लापता

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शिमला, 1 अगस्त। हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की दो घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गयी तथा करीब 50 लोग लापता हो गए हैं। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि बारिश के कारण कई मकान बह गए और सड़कें तथा दो जल विद्युत परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हो गयी हैं।

शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने मीडिया को बताया कि शिमला में रामपुर उपमंडल के समाघ खुद (नाला) में बादल फटने से दो लोगों की मौत हो गयी तथा 28 अन्य लापता हो गए हैं। दो लोगों को घटनास्थल से बचाया गया है। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि बादल फटने की घटना देर रात करीब एक बजे हुई।

उन्होंने बताया कि सड़कों के बह जाने के कारण बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण हो गया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि राज्य में भारी बारिश और बादल फटने के कारण व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि प्रभावित इलाकों में सड़क संपर्क बाधित हुआ है। वाहनों के गुजरने के लिए बनाए चार पुल और पैदल पुल बह गए हैं, बचाव अभियान संचालित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि सेब की फसल भी बर्बाद हो गयी है। घटनास्थल पर मौजूदा उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, पुलिस और होम गार्ड ने बचाव अभियान शुरू कर दिया है और लापता लोगों की तलाश के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

मंडी जिले के पधर में थालटूखोद इलाके में बादल फटने की एक अन्य घटना में बुधवार रात को एक व्यक्ति की मौत हो गयी तथा नौ अन्य लापता हो गए। कुछ मकान ढह गए हैं और सड़क संपर्क बाधित हो गया है। मंडी जिला प्रशासन ने भारतीय वायु सेना और एनडीआरएफ से मदद मांगी है। ब्यास नदी के उफान पर होने के कारण चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया है।

कुल्लू के भागीपुल में भी मकानों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें आ रही हैं और पार्वती नदी तथा मलाना खुद में बाढ़ के कारण कुल्लू के भुंटार इलाके में भी अलर्ट जारी किया गया है। मनाली-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण टूट या है और ब्यास नदी का पानी मंडी के पंडोह में कुछ घरों में घुस गया है।

कुछ लोगों के लापता होने तथा इलाके में मकानों तथा दुकानों के ढह जाने की भी सूचना है। अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया है और प्राधिकारियों का पूरा ध्यान बचाव एवं राहत अभियानों पर है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बादल फटने के बाद सचिवालय में एक आपात बैठक बुलायी है।