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बिहार : 88 वर्षों का इंतजार खत्म, रेल मंत्री ने किया निर्मली-आसनपुर कुपहा नई रेल लाइन का उद्घाटन

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पटना, 7 मई। बिहार में कोसी, कमलांचल व मिथिलांचलवासियों के लिए शनिवार का दिन बेहद खास बना, जब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से झंझारपुर-निर्मली नव आमान परिवर्तित रेलखंड तथा निर्मली-आसनपुर कुपहा नई रेल लाइन का उद्घाटन किया। उन्होंने इसके बाद 05553 झंझारपुर-सहरसा डेमू पैसेंजर स्पेशल ट्रेन को उद्घाटन स्पेशल के रूप में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

88 वर्षों के बाद खंडित मिथिलांचल का एकीकरण हो गया

इसके साथ ही आज 88 वर्षों के बाद खंडित मिथिलांचल का एकीकरण हो गया। वर्ष 1934 के बाद एक बार फिर से मिथिला एक हो गया और कमलांचल व कोसी के बीच समृद्धि व विकास का रास्ता एक बार फिर खुल गया।

नैहर और ससुराल की दूरियां भी घट गईं

यही नहीं नैहर और ससुराल की दूरियां भी घट गईं, जिससे आपसी रिश्ते भी मजबूत होंगे और क्षेत्र के लोगों के आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा। पहले सुपौल से दरभंगा जाने के लिए करीब 275 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। लेकिन नए रेलखंड के निर्माण से यह दूरी तकरीबन आधी हो गई है।

दरभंगा व कोसी प्रमंडल के करीब 2.50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा

इस रेलखंड में ट्रेन सेवा प्रारंभ होने से दरभंगा व कोसी प्रमंडल के करीब 2.50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। सहरसा, निर्मली, दरभंगा के बीच ट्रेन परिचालन के बाद मिथिला के कोसी क्षेत्र का मिथिला के ही कमला क्षेत्र के बीच की दूरियां घट जाएंगी। सहरसा, सुपौल, झंझारपुर, निर्मली होकर ट्रेन का परिचालन शुरू हो सकेगा। उत्तर बिहार का यह वैकल्पिक रेल मार्ग भी होगा, जो पूर्वोत्तर राज्यों से कोसी को सीधा जोड़ेगा।

गौरतलब है कि करीब 88 वर्ष पूर्व 1934 तक सरायगढ-निर्मली-झंझारपुर के बीच छोटी लाइन की ट्रेन सेवा उपलब्ध थी, जिसका शुभारंभ वर्ष 1887 में हुआ था। लेकिन 1934 में आए भीषण भूकंप एवं कोसी बाढ़ के कारण यह रेलखंड पूरी तरह ध्वस्त हो गया। इस भूकंप में कोसी नदी पर बना रेल पुल बह गया था, जिसके बाद मीटर गेज पर ट्रेनों का परिचालन बंद हो गया था।

तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने जून, 2003 में रखी थी रेलखंड की नींव

इस रेलखंड की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा छह जून, 2003 को निर्मली में आयोजित एक समारोह के दौरान रखी गई थी, जिसके तहत 491 करोड़ की लागत से कोसी नदी पर महासेतु का निर्माण किया गया। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने चार महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाओं की घोषणा की थी, उस समय रेल मंत्री नीतीश कुमार थे।

करीब दो किलोमीटर लंबा पुल करीब 400 करोड़ से अधिक राशि से तैयार किया गया। वर्ष 2018 के बाद कोसी रेल महासेतु पुल का निर्माण तेज गति से शुरू हुआ। वर्ष 2020 के अंत तक इसे पूरा कर लिया गया। वर्ष 2021 में इस रेल पुल का कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी ने निरीक्षण किया था। इस पर 1,400 करोड से अधिक खर्च हुए हैं।

पीएम मोदी ने दो वर्ष पूर्व किया था पुल व सरायगढ-आसनपुर कुपहा रेलखंड का लोकार्पण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर, 2020 को इस पुल और सरायगढ-आसनपुर कुपहा नए रेलखंड का लोकार्पण किया था। तब से सहरसा से आसनपुर कुपहा तक ट्रेन सेवा प्रारंभ हो गई है। लेकिन आसनपुर कुपहा से निर्मली और निर्मली से झंझारपुर के बीच अमान परिवर्तन का कार्य पूर्ण नहीं हुआ था, जिसके कारण यह परियोजना लंबित थी। 456 करोड की लागत से आसनपुर कुपहा से झंझारपुर तक अमान परिवर्तन का कार्य पूर्ण कर लिया गया. अब इस ट्रेन रूट पर रेलगाडियां चलनी शुरू हो गई हैं।

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