नई दिल्ली, 9 दिसम्बर। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को दावा किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के ‘प्रोजेक्ट’ के तहत विभिन्न संस्थाओं और निर्वाचन आयोग पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा में भाग लेते हुए सवाल किया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति वाली चयन समिति में प्रधान न्यायाधीश को शामिल क्यों नहीं किया गया?
कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि इस सरकार ने दिसम्बर, 2023 में कानून बदल दिया ताकि किसी चुनाव आयुक्त को उसके फैसलों के लिए दंडित नहीं किया जा सके। उन्होंने दावा किया कि इतिहास में किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि यदि वोट का ही मतलब नहीं रह जाएगा तो लोकसभा, विधानसभा या पंचायत, किसी का कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा।
आरएसएस के ‘प्रोजेक्ट’ के तहत संस्थाओं और निर्वाचन आयोग पर किया गया कब्जा
राहुल गांधी ने आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद इनके ‘प्रोजेक्ट’ का अगला हिस्सा भारत के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का था। उन्होंने दावा किया, ‘आरएसएस ने एक-एक करके संस्थाओं पर कब्जा शुरू कर दिया। सब लोग जानते हैं कि विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति कैसे होती है।’
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— Congress (@INCIndia) December 9, 2025
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि इसके बाद जांच एजेंसियों पर कब्जा करने का लक्ष्य था। उन्होंने दावा किया कि निर्वाचन आयोग पर कब्जा किया गया है। नेता प्रतिपक्ष ने यह आरोप भी लगाया कि निर्वाचन आयोग सत्तापक्ष में बैठे लोगों के साथ मिलीभगत करके फैसले कर रहा है और किसी भी चुनाव से पहले प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के अनुसार प्रचार के लिए लंबी अवधि रखी जाती है।
उन्होंने सत्तापक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यह वर्ण व्यवस्था में यकीन करते हैं और इस क्रम में खुद को सबसे ऊपर मानते हैं। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि देश 1.5 अरब लोगों का तानाबाना है, जो वोट के माध्यम से बुना हुआ है।
‘वोट चोरी का मेरे पास सबूत’
राहुल गांधी ने कहा, ‘मेरे पास वोट चोरी के सबूत हैं। भाजपा लोकतंत्र को डैमेज करने के लिए चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर रही है। सीजेआई को सीईसी की नियुक्ति प्रक्रिया से हटाया गया। मैं बैठा था, एक तरफ पीएम मोदी और अमित शाह बैठे थे और दूसरी तरफ मैं। किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया। दिसम्बर 2023 में नियम बदल यह प्रावधान किया कि किसी भी चुनाव आयुक्त को दंडित नहीं किया जा सकता। यह 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किया गया। सीसीटीवी और डेटा को लेकर नियम बदले गए। सत्ता के साथ चुनाव आयोग का तालमेल है। यह डेटा का सवाल नहीं, चुनाव का सवाल है।’

