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राहुल गांधी बोले – ‘जातिगत जनगणना मेरे लिए राजनीति नहीं, बल्कि एक मिशन है’

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प्रयागराज, 24 अगस्त। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना उनके लिए राजनीति नहीं बल्कि एक मिशन है, जिसका सीधा संबंध देश के संविधान की रक्षा से है और यही कारण है कि उन्होंने जाति आधारित संस्थागत जनगणना की मांग उठाई है।

देश की 90% आबादी की अब भी सिस्टम में कोई भागीदारी नहीं

रायबरेली के सांसद राहुल गांधी ने कांग्रेस के बैनर तले यहां आयोजित संविधान सम्मान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश की 90 फीसदी आबादी की सिस्टम में कोई भागीदारी नहीं है, फिर भी कहा जाता है कि देश सुपर पावर बन जाएगा। संविधान लागू होने के 70 वर्ष बाद भी देश की 90 प्रतिशत आबादी हाशिए पर है और कॉरपोरेट जगत, मीडिया एवं न्यायपालिका में उनकी भागीदारी नहीं है।

जातिगत जनगणना से ही लोगों को उनकी भागीदारी मिलेगी

राहुल ने कहा, ‘हमारी इच्छा है कि दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को भी समान भागीदारी और अधिकार मिले तथा देश के संसाधनों पर उनका नियंत्रण हो। 90 प्रतिशत लोगों के पास जरूरी हुनर ​​है, प्रतिभा है, लेकिन वे सिस्टम से जुड़े नहीं हैं। इसलिए कांग्रेस ने जातिगत जनगणना की बात उठाई है, ताकि लोगों को उनकी भागीदारी मिल सके।’

‘कांग्रेस के लिए जाति जनगणना नीति निर्माण का आधार

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘कांग्रेस के लिए जाति जनगणना सिर्फ जनगणना नहीं है, यह नीति निर्माण का आधार है। जातिगत जनगणना से आबादी पता लगेगी, जो जरूरी कदम है क्योंकि भागीदारी से पहले आबादी पता होनी चाहिए। लेकिन आबादी पता करना अंतिम कदम नहीं है। मेरा मकसद है यह समझना कि हिन्दुस्तान में धन किस प्रकार से बांटा जा रहा है और हिन्दुस्तान के संस्थाओं में किसकी कितनी भागीदारी है।’

‘आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हमें स्वीकार नहीं

उन्होंने कहा, ‘जातिगत जनगणना मेरे लिए राजनीति नहीं, ये मेरा मिशन है। आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हमें स्वीकार नहीं है। जातिगत जनगणना, सोशल इकोनॉमिक सर्वे और इंस्टीट्यूशनल सर्वे होकर रहेगा। आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा भी खत्म होगी क्योंकि देश की जनता ने यह मन बना लिया है। प्रधानमंत्री को यह बात मान लेनी चाहिए और आदेश लागू कर देना चाहिए। यदि प्रधानमंत्री मोदी यह नहीं करेंगे तो दूसरे प्रधानमंत्री करेंगे।’ उन्होंने कहा कि जाति जनगणना का सीधा संबंध संविधान की रक्षा से है। इसका उद्देश्य देश की 90 प्रतिशत आबादी को उसका हक दिलाना है। यदि इतनी बड़ी आबादी को उसका हक नहीं मिलेगा तो संविधान की रक्षा नहीं हो सकेगी।

मोदी सरकार संविदा नियुक्तियों के जरिए आरक्षण खत्म करने का प्रयास कर रही

रायबरेली के सांसद ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार लेटरल एंट्री और संविदा नियुक्तियों के जरिए आरक्षण को खत्म करने का प्रयास कर रही है। भाजपा ऊपर से नीचे तक हर तरफ से आरक्षण पर हमला कर रही है। लोकसभा नतीजों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजा, महाराजा, शहंशाह वाला मॉडल चलाना चाह रहे थे। देश की जनता ने मोदी को संविधान माथे पर लगाने के लिए मजबूर कर दिया।