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राष्ट्रपति कोविंद ने कहा – न्यायपालिका में मध्यस्थता को अब तक नहीं मिल सकी है व्यापक स्वीकृति

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा – न्यायपालिका में मध्यस्थता को अब तक नहीं मिल सकी है व्यापक स्वीकृति

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केवड़िया (गुजरात), 9 अप्रैल। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि न्यायपालिका में मध्यस्थता की अवधारणा को कुछेक अड़चनों के कारण अब व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है और सभी हितधारकों को वांछित परिणाम प्राप्त करने की दिशा में इस विषय के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित करना चाहिए।

नर्मदा जिले के केवड़िया में शनिवार को ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के पास आयोजित मध्यस्थता और सूचना प्रौद्योगिकी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने यह भी कहा कि न्याय वितरण प्रणाली के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) की तरफ बढ़ने का सर्वोच्च उद्देश्य न्याय तक पहुंच में सुधार होना चाहिए।

कई मध्यस्थता केंद्रों पर ढांचागत सुविधाओं को बेहतर करने की सख्त जरूरत

उन्होंने कहा, ‘सच कहा जाए तो मध्यस्थता में हर कोई विजेता होता है। ऐसा कहने के बाद यह भी स्वीकार करना होगा कि इस अवधारणा को अब तक देशभर में व्यापक स्वीकृति नहीं मिली है। कुछ स्थानों पर पर्याप्त प्रशिक्षित मध्यस्थ उपलब्ध नहीं हैं। कई मध्यस्थता केंद्रों पर ढांचागत सुविधाओं को बेहतर करने की सख्त जरूरत है।’

सभी हितधारकों को मध्यस्थता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित करना चाहिए

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि इन अड़चनों का जल्द से जल्द समाधान किया जाना चाहिए ताकि व्यापक आबादी को इस प्रभावी उपकरण से लाभ मिल सके। इस संबंध में प्रशिक्षण के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, यदि हम वांछित परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं तो सभी हितधारकों को मध्यस्थता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित करना चाहिए।’

उन्होंने राज्यों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करके बहुत अच्छा काम करने के लिए उच्चतम न्यायालय की मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता के बारे में वकीलों के बीच ‘उनके पेशे के लिए खतरा’ होने की गलतफहमी को पिछले दो दशकों में दूर किया गया है। साथ ही इस अवधि के दौरान सभी हितधारकों ने मध्यस्थता को ‘विवाद समाधान के लिए एक प्रभावी उपकरण’ के रूप में मान्यता दी है।

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इस अवसर पर देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन.वी. रमना, केंद्रीय कानून व न्याय मंत्री किरण रिजिजु, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल और गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार सहित सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई न्यायाधीशों के अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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