नई दिल्ली, 24 जुलाई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन रविवार को विदाई भाषण में जलवायु संकट पर चिंता प्रकट की और देशवासियों से आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा करने की अपील की।
जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य को खतरे में डाल सकता है
अपना पद छोड़ने की पूर्व संध्या में राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘प्रकृति मां गहरी पीड़ा में है और जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य को खतरे में डाल सकता है। हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का ध्यान रखना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘मेरा हमेशा से दृढ़ विश्वास रहा है कि बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में कुछ दशकों की अवधि के भीतर, नेताओं की एक आकाशगंगा के, जिनमें से प्रत्येक एक असाधारण दिमाग था, रूप में भारत जैसा भाग्यशाली कोई अन्य देश नहीं रहा है।’
‘हमारा देश 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए सुसज्जित हो रहा‘
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवा भारतीयों के लिए अपनी विरासत से जुड़ना संभव बनाने में एक लंबा सफर तय करेगी। मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमारा देश 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए सुसज्जित हो रहा है।’
‘हमें अपने पूर्वजों के पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है‘
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है।’
‘5 वर्षों के दौरान मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया’
रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं।’
देशवासियों के प्रति व्यक्त किया हार्दिक आभार
उन्होंने कहा, ‘पांच साल पहले, मैं आपके चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। राष्ट्रपति के रूप में मेरा कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है। मैं आप सभी और आपके जन प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं।’