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बिहार में शराबबंदी कानून बदलने की तैयारी : पकड़े जाने पर शराबी अब जुर्माना भरकर रिहा हो जाएंगे

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पटना, 18 जनवरी। बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लगातार हो रही फजीहत के मद्देनजर राज्य सरकार अब मौजूदा कानून में संशोधन करने पर विचार कर रही है। इसके तहत शराबबंदी का उल्लंघन करने पर दंड के प्रावधान बदल सकते हैं। इसके लिए नीतीश सरकार बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम में संशोधन की तैयारी कर रही है।

जुर्माना न भरने की स्थिति में ही अभियुक्त को जेल भेजा जाएगा

नए संशोधन में शराब पीने के अपराध में पकड़े गए अभियुक्तों को जेल भेजने की बजाय मजिस्ट्रेट के समक्ष तय जुर्माना भरकर छोड़े जाने का प्रावधान किया जा सकता है और जुर्माना न भरने की स्थिति में ही जेल भेजा जाएगा। आगे अपराध की गंभीरता के आधार पर केवल जुर्माना या जेल अथवा जुर्माना और जेल दोनों के दंड मिल सकते हैं।

गौरतलब है कि शराबबंदी कानून की समीक्षा को लेकर सत्ताधारी दल में लगातार तकरार देखी जा रही है तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक की टिप्पणियों ने हाल के दिनों में सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है। उसके बाद सरकार ने शराबबंदी कानून में संशोधन का विचार किया है।

कोर्ट में लंबित मामलों को कम करना भी नई व्यवस्था का उद्देश्य

नई व्यवस्था का उद्देश्य कोर्ट में लंबित मामलों को कम करने के साथ बड़े शराब माफिया और तस्करों को जल्द से जल्द सजा दिलाना भी है। सूत्रों के अनुसार अभी 30-40 फीसद कांड शराब पीने वालों के खिलाफ हैं। इनके कारण शराब तस्करी से जुड़े बड़े मामलों की सुनवाई भी प्रभावित हो रही है। कानून में संशोधन के बाद न्यायालयों में लंबित आवेदनों का दबाव कम होगा तो बड़े शराब माफिया और तस्करों के मामलों की सुनवाई जल्द पूरी हो सकेगी। उनका ट्रायल जल्द पूरा कराकर सजा दिलाने की दर भी बढ़ाई जाएगी।

बजट सत्र में लाया ज सकता है संशोधन प्रस्ताव

हालांकि इस संशोधन प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री और अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। चर्चा है कि बजट सत्र में शराबबंदी कानून में संशोधन का प्रस्ताव सदन में लाया जा सकता है। मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग ने मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम-2016 में संशोधन का प्रारंभिक खाका तैयार किया है। इसे विचार के लिए गृह विभाग के पास भेजा गया है।

वहां से सहमति मिलने या सुझाए संशोधन के आधार पर प्रारंभिक खाके में फिर से बदलाव किया जाएगा। इसके बाद विधि विभाग और मुख्यमंत्री की सहमति के बाद अंतिम रूप से तैयार किया जाएगा। अगर सबकुछ ठीक रहा तो आगामी बजट सत्र में इसे पेश भी किया जा सकता है।

अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक के स्तर से प्रस्तावित संशोधन पर सूक्ष्मता से विचार किया जा रहा है। सरकार संशोधन के प्रस्ताव को तैयार कर रही है। उसमें यह नियम भी हो सकता है कि शराब के धंधे में पकड़ी गई गाड़ियों को पेनाल्टी देकर छोड़ दिया जाए।

वर्ष 2018 में भी किया गया था शराबबंदी कानून में संशोधन

फिलहाल ऐसा पहली बार नहीं है, जब शराबबंदी कानून में संशोधन किया जा रहा है। इसके पहले साल 2018 में भी संशोधन किया गया था और तब जमानत की व्यवस्था दी गई थी। बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क (संशोधन) कानून 2018 के तहत शराब पीते हुए पकड़े जाने के अपराध को जमानती बनाया गया।

शराब बेचने और पीने के अभियुक्तों के लिए अलग-अलग कोर्ट की स्थापना पर विचार

वहीं, बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम के प्रस्तावित संशोधन में शराब बेचने और पीने के आरोप में पकड़े गए लोगों के लिए अलग-अलग कोर्ट स्थापित करने के प्रावधान पर भी विचार चल रहा है। अलग-अलग मामलों में आपराधिक और दीवानी प्रक्रिया के तहत मुकदमों का त्वरित निष्पादन किया जाएगा। जिले में ऐसे मामलों के लिए विशेष कोर्ट स्थापित करने की भी तैयारी चल रही है।

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