नई दिल्ली, 24 जून। केंद्र सरकार अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़े खाताधारकों के पेंशन और प्रॉविडेंट फंड को अलग करने की योजना बना रही है। यह योजना लागू हुई तो ईपीएफओ के फॉर्मल सेक्टर से जुड़े छह करोड़ कर्मचारियों पर इसका असर पड़ेगा। ईपीएफओ सूत्रों के अनुसार इस योजना के पीछे सरकार का उद्देश्य यह है कि जब कोई कर्मचारी अवकाश ग्रहण करे तो उसके पास पेंशन के रूप में अच्छी रकम मिले।
योजना लागू होने पर पेंशन फंड से पैसा नहीं निकाल सकेंगे
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह योजना लागू होने पर कर्मचारी अवकाश ग्रहण करने से पहले पेंशन फंड से पैसे नहीं निकाल सकेंगे। ज्ञातव्य है कि कर्मचारी और नियोक्ता कम्पनी की ओर से वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) का 12-12 फीसदी यानी कुल का 24 फीसदी योगदान भविष्य निधि फंड में किया जाता है। इसमें 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में जाता है और बाकी रकम कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में जाती है। कर्मचारी जब कभी अपने भविष्य निधि खाते से पैसे निकालते हैं तो अपने पेंशन एकाउंट से भी पैसे निकाल लेते हैं क्योंकि यह एक सिंगल एकाउंट होता है।
ईपीएफओ ने 14 माह में 3.9 करोड़ दावों का निबटारा किया
रिपोर्ट के अनुसार सरकार के इस कदम को पेंशन में सुधार के रूप में देखा जाएगा। दरअसल, कोरोना महामारी के बाद यह समस्या ज्यादा बढ़ गई क्योंकि पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान करोड़ों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। 31 मई, 2021 तक कुल 76.3 लाख लोगों ने कोविड एडवांस के रूप में इन खातों से पैसे निकाले हैं। ईपीएफओ ने एक अप्रैल 2020 से 19 जून, 2021 तक कुल 3.9 करोड़ दावों का निबटारा किया है, जिनेमें कोविड एडवांस भी शामिल हैं।
ईपीएफओ बोर्ड की पिछली बैठक में हुई थी चर्चा
ईपीएफओ के एक अधिकारी ने बताया कि ईपीएफओ में पीएफ और पेंशन स्कीम का अलग-अलग होना बेहद जरूरी है। जरूरत के वक्त पीएफ से पैसा निकालने में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन पेंशन फंड को हाथ नहीं लगाना चाहिए। अधिकारी ने बताया कि एक आंतरिक सरकारी पैनल ने ईपीएफ और ईपीएस खातों को अलग करने की सलाह दी थी, जिस पर वर्ष की शुरुआत में हुई ईपीएफओ बोर्ड की बैठक में चर्चा भी हुई थी।
अधिकारी ने यह भी बताया कि यदि किसी वजह से कोई उपभोक्ता पेंशन फंड से पैसा निकालता भी है तो उसे बदली हुई वैल्यू दिखाई देगी। यानी अवकाश ग्रहण करने के बाद पेंशन कम हो जाएगी। परिपक्वता से पहले निकासी को कम करने के लिए, जब कोई खाताधारक पेंशन फंड तोड़ेगा तो उसे कुछ आर्थिक लाभों से वंचित होना पड़ सकता है।