वाराणसी, 22 जुलाई। वाराणसी में महात्मा गांधी, आचार्य विनोबा भावे व लोकनायक जयप्रकाश नारायण की यादों से जुड़े संस्थान सर्व सेवा संघ पर बुलडोजर चलाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। शनिवार की सुबह दर्जनभर थानों से पहुंची पुलिस ने यहां बने 45 से अधिक कमरों को जबरन खाली करा लिया। परिसर के मेन गेट पर भी ताला लगा दिया गया। खाली कराए गए कमरों पर रेलवे ने अपना ताला लगवा दिया है।
सर्वोदय मंडल के प्रदेश अध्यक्ष रामधीरज समेत 8 लोग हिरासत में
भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में सुबह से शाम तक चली काररवाई के दौरान एक बड़े कमरे से सर्वोदय प्रकाशन की पांच लाख पुस्तकें और महापुरुषों की तस्वीरें निकाल कर गांधी स्मारक के चबूतरे पर रखवा दी गईं। परिसर में रहने वाले परिवारों की इस दौरान पुलिस से नोकझोक भी हुई। बेदखली के विरोध में कई दिनों से सत्याग्रह कर रहे सर्वोदय मंडल के प्रदेश अध्यक्ष रामधीरज समेत आठ लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
सर्व सेवा संघ परिसर की लगभग 13 एकड़ जमीन पर रेलवे का अधिकार
जिला प्रशासन की काररवाई के साथ ही सर्व सेवा संघ परिसर की लगभग 13 एकड़ जमीन पर रेलवे का अधिकार हो गया है। शनिवार भोर में पांच बजे ही रेलवे, प्रशासन व पुलिस की संयुक्त टीमें मौके पर पहुंच गईं। पहले धरनास्थल पर लगे बैनर-पोस्टर, टेंट आदि हटाए गए। इसके बाद यहां रह रहे लोगों को सामान निकालने को कहा गया। इस बीच, टीम को विरोध का सामना करना पड़ा। इस पर रामधीरज, सर्व संघ सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, अरविंद अंजुम, लोक समिति के नंदलाल मास्टर, गाजीपुर के ईश्वरचंद, मऊ के अनोखे लाल, सर्वोदय मंडल यूपी के महामंत्री राजेंद्र मिश्र और जितेंद्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
परिसर में चल रहा धरना 63वें दिन खत्म
पुलिस का रुख देख लोगों ने कमरे खाली करने शुरू कर दिए। उन्होंने अपने सामान वाहनों से दूसरे स्थानों पर भेजे। यहां लगभग 200 लोग रह रहे थे। मुख्य द्वार और दूसरा गेट बंद कर फोर्स तैनात कर दी गई और बाहरी लोगों का आवागमन रोक दिया गया। वहीं, परिसर में चल रहा धरना भी 63वें दिन खत्म हो गया।
क्या है पूरा मामला
वाराणसी में गंगा किनारे नवनिर्मित नमो घाट से सटे राजघाट की 13 एकड़ जमीन पर सर्व सेवा संघ प्रकाशन, गांधी विद्या संस्थान, साधना स्थल, गांधी स्मारक, जेपी प्रतिमा व आवास, वाचनालय, औषधालय, बालवाड़ी, अतिथि गृह, चरखा प्रशिक्षण केंद्र और डाकघर बने हैं। पेड़-पौधों से सुसज्जित परिसर हरा-भरा है। कभी यहां गांधी विचार से प्रेरित लोगों की जुटान होती थी। यहां आचार्य विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर शूमाकर जैसी हस्तियां आ चुकी हैं।
यह जमीन ऐसी जगह पर स्थित है, जहां पानी, सड़क और रेल तीनों से यातायात की सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में सरकार ने यहां पर एक बड़े प्रोजेक्ट का ब्लूप्रिंट तैयार किया है। पूरी जमीन कभी रक्षा मंत्रालय की थी। रक्षा मंत्रालय से यह जमीन रेलवे ने खरीद ली। बाद में रेलवे ने यह जमीन सर्व सेवा संघ को बेच दी।
कुछ समय पहले जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद हुआ और मामला हाई कोर्ट पहुंच गया। हाई कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को मामला देखने को कहा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी के जिलाधिकारी ने 26 जून 2023 को दिए गए अपने फैसले में यह माना कि रेलवे ने यह ज़मीन साल 1941 में रक्षा विभाग से खरीदी थी। इस जमीन को आगे चलकर किसी निजी संगठन अथवा व्यक्ति को बेचने की नीति नहीं थी।
जिलाधिकारी ने यह भी कहा है कि अगर ज़मीन बेचनी ही थी तो रेलवे बोर्ड की पूर्व अनुमति के साथ सार्वजनिक निविदा के प्रकाशन के साथ यह कार्य किया जाना चाहिए था। डीएम ने यह भी कहा था कि याची अपनी सेल डीड की सत्यता का सत्यापन नहीं करा पाए हैं। याचियों ने डीएम के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां उन्हें कोई राहत नहीं मिली। अलबत्ता एक सलाह देते हुए कोर्ट ने कहा कि वह स्थानीय न्यायालय में लंबित मुकदमें के मामले में आवेदन कर सकते हैं। सर्व सेवा संघ ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। वहां से भी निराशा हाथ लगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय अदालत जाने की सलाह दी।
इसके बाद शुक्रवार को सर्व सेवा संघ की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में वाद दाखिल हुआ। इस मामले में सुनवाई शुरू नहीं हुई है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद रेलवे ने शनिवार सुबह कब्जा खाली कराने की काररवाई शुरू कर दी।