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प्रशांत किशोर ने भी कांग्रेस पर साधा निशाना, बोले – विपक्ष का नेतृत्व उसका दैवीय अधिकार नहीं

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नई दिल्ली, 2 दिसंबर। पिछले लगभग दो दशक से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अगुआई कर रही कांग्रेस के नेतृत्व पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इस क्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की मुखिया ममता बनर्जी ने 24 घंटे पूर्व अपने मुंबई दौरे के बीच यह कहते हुए सोसा छोड़ा था कि यूपीए जैसा अब कुछ नहीं है। इसके बाद अब जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि संयुक्त विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस का दैवीय अधिकार नहीं है। कांग्रेस तो पिछले 10 वर्षों में 90 फीसदी चुनाव हार चुकी है।

पीके के नाम से लोकप्रिय प्रशांत किशोर ने गुरुवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि विपक्षी नेतृत्व लोकतांत्रिक तरीके से तय किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिस आईडिया और स्पेस का प्रतिनिधित्व करती है, वह एक मजबूत विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस का दैवीय अधिकार नहीं है, जब पार्टी पिछले 10 सालों में अपने 90% चुनाव हारती हो। लोकतांत्रिक तरीके से विपक्षी नेतृत्व करने दें।’

पीके पहले भी कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर उठा चुके हैं सवाल

पीके ने इसके पहले भी कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि लखीमपुर खीरी कांड के बाद जो लोग पुरानी पार्टी के नेतृत्व में विपक्ष के त्वरित पुनरुद्धार की तलाश कर रहे हैं, वे बड़ी निराशा में हैं क्योंकि इसका कोई त्वरित समाधान नहीं है। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर कांग्रेस ने नेतृत्व और रणनीति नहीं बदली तो वह भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में वर्षों तक नहीं आ पाएंगी।

गौरतलब है कि प्रशांत किशोर और उनकी आई-पीएसी टीम पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से तृणमूल कांग्रेस के लिए काम कर रही है और वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार के लिए रणनीति तैयार करने पर काम कर रही है।

गुलाम नबी आजाद बोले – अगले चुनाव में कांग्रेस नहीं जीत पाएगी 300 सीटें

दिलचस्प तो यह है कि खुद कांग्रेस में असंतुष्ट ग्रुप है, जो गाहे-बगाहे नेतृत्व पर सवाल उठाता रहा है। उन्हीं असंतुष्ट नेताओं में एक जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कश्मीर घाटी में एक रैली के दौरान आशंका जताई कि कांग्रेस अगले आम चुनाव में शायद ही 300 सीटों तक पहुंच पाएंगी।

आजाद ने धारा 370 पर अपनी चुप्पी को सही ठहराते हुए कहा, ‘केवल सुप्रीम कोर्ट, जहां मामला लंबित है, और केंद्र ही इसे बहाल कर सकता है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया है, इसलिए वह इसे बहाल नहीं करेगी। अगर मैं आपसे कहूं कि मैं उसे वापस लाऊंगा, तो यह झूठ है।’

उन्होंने कहा, ‘सरकार बनाने के लिए 300 सांसदों की जरूरत है। मैं यह वादा नहीं कर सकता कि 2024  चुनाव में हमारे 300 नेता जीतकर संसद पहुंचेंगे। मुझे अभी ऐसा नहीं लगता कि हम अगले चुनाव में 300 सीट जीत पाएंगे।’

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