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प्रह्लाद जोशी की विपक्ष को चुनौती – संख्या बल है तो सरकारी विधेयकों को पारित होने से रोक कर दिखाएं

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नई दिल्ली, 28 जुलाई। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को विपक्ष को चुनौती दी कि यदि उन्हें लगता है कि लोकसभा में उनके पास संख्या बल है तो वे सदन के पटल पर सरकारी विधेयकों को पारित होने से रोककर दिखाएं।

जोशी का यह तीखा बयान ऐसे समय में आया है, जब लोकसभा में कांग्रेस का सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किया जा चुका है। विपक्षी नेताओं ने प्रस्ताव के स्वीकारे जाने के बावजूद सरकार द्वारा विधायी कार्य किए जाने पर आपत्ति जताई है।

केंद्रीय मंत्री ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे अचानक अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए, क्या इसका मतलब यह है कि कोई सरकारी कामकाज नहीं होना चाहिए।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘अगर उनके पास संख्या बल है तो उन्हें सदन में विधेयकों को पारित होने से रोककर दिखाना चाहिए।’’

जोशी ने इससे पहले सदन में विपक्ष के समक्ष यही चुनौती पेश की थी। विपक्ष ने कहा कि जब लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया जारी है तब सरकार द्वारा नीतिगत मामलों से संबंधित विधायी कार्यों को आगे बढ़ाना ‘उपहास’ है और ‘ईमानदारी व औचित्य’ के खिलाफ है।

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के नेता एन के प्रेमचंद्रन ने एम एन कौल और एस एल शकधर की पुस्तिका ‘‘संसद की परंपरा और प्रक्रिया का’’ हवाला देते हुए कहा, ‘‘जब किसी प्रस्ताव को पेश करने के लिए सदन की अनुमति दे दी जाती है, तो अविश्वास प्रस्ताव का निपटारा होने तक सरकार द्वारा नीतिगत मामलों पर सदन के समक्ष कोई ठोस प्रस्ताव लाने की आवश्यकता नहीं होती है।’’

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था और कहा था कि वह सदन में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से परामर्श करने के बाद चर्चा के लिए तारीख तय करेंगे। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दल इस सप्ताहांत मणिपुर का दौरा करने वाले हैं। इस बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा, ‘‘उन्हें जाने दीजिए।

ग्राउंड जीरो रिपोर्ट क्या है? अगर वे चर्चा को तैयार होते हैं तो हम सदन के पटल पर सब कुछ रखने के लिए तैयार हैं। अगर वे चर्चा करना चाहते हैं, अगर वे चाहते हैं कि सच सामने आए, तो सदन के पटल से बेहतर कोई जगह नहीं है।’’ मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित होती रही है। मानसून सत्र की शुरुआत 20 जुलाई को हुई थी।

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