लखनऊ, 2 नवम्बर। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों पोस्टर वार बढ़ता ही जा रहा है। सीएम योगी के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। वहीं इसके जवाब में अब समाजवादी पार्टी की तरफ से राजधानी लखनऊ की सड़कों पर पोस्टर लगाए है। पोस्टर पर लिखा है – ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा के पोस्टर वाले नारे को लेकर सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट के माध्यम से जमकर हमला बोला है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि उनका ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है। इस नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10% मतदाता बचे हैं, अब वो भी खिसकने के कगार पर हैं। इसीलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन ऐसा कुछ होने वाला नहीं।
उनका ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है।
इस नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10% मतदाता बचे हैं अब वो भी खिसकने के कगार पर हैं, इसीलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन ऐसा कुछ होनेवाला नहीं।
‘नकारात्मक-नारे’ का असर भी होता है, दरअसल…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 2, 2024
ट्वीट में आगे अखिलेश यादव ने लिखा कि ‘नकारात्मक-नारे’ का असर भी होता है, दरअसल इस ‘निराश-नारे’ के आने के बाद, उनके बचे-खुचे समर्थक ये सोचकर और भी निराश हैं कि जिन्हें हम ताक़तवर समझ रहे थे, वो तो सत्ता में रहकर भी कमज़ोरी की ही बातें कर रहे हैं। जिस ‘आदर्श राज्य’ की कल्पना हमारे देश में की जाती है, उसके आधार में ‘अभय’ होता है; ‘भय’ नहीं। ये सच है कि ‘भयभीत’ ही ‘भय’ बेचता है क्योंकि जिसके पास जो होगा, वो वही तो बेचेगा।
अखिलेश यादव ने कहा कि देश के इतिहास में ये नारा ‘निकृष्टतम-नारे’ के रूप में दर्ज होगा और उनके राजनीतिक पतन के अंतिम अध्याय के रूप में आख़िरी ‘शाब्दिक कील-सा’ साबित होगा। देश और समाज के हित में उन्हें अपनी नकारात्मक नज़र और नज़रिये के साथ अपने सलाहकार भी बदल लेने चाहिए, ये उनके लिए भी हितकर साबित होगा। एक अच्छी सलाह ये है कि ‘पालें तो अच्छे विचार पालें’ और आस्तीनों को खुला रखें, साथ ही बाँहों को भी, इसी में उनकी भलाई है। सकारात्मक समाज कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!