नई दिल्ली, 28 अगस्त। अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप में नौकरी छीने जाने के बाद पूर्व प्रशिक्षु आईएएस अफसर पूजा खेडकर ने अपनी अयोग्ता को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के पास उनके खिलाफ काररवाई करने का कोई अधिकार नहीं है।
‘UPSC के पास नहीं है मेरी उम्मीदवारी रद करने की ताकत‘
पूजा खेडकर ने हाई कोर्ट के समक्ष दाखिल जवाब में कहा कि यूपीएससी के पास उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य ठहराने की कोई शक्ति नहीं है। एक बार परिवीक्षाधीन अधिकारी (Probationary Officer) के रूप में चयनित और नियुक्त हो जाने पर अभ्यर्थी की उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने की यूपीएससी की शक्ति समाप्त हो जाती है। उन्होंने उल्लेख किया कि अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1954 और प्रशिक्षु नियमों के तहत काररवाई केवल DoPT (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) ही कर सकता है, जो CSE 2022 नियमों के नियम 19 के अनुसार है।
‘2012-2022 तक मेरे नाम या उपनाम में कोई बदलाव नहीं हुआ‘
खेडकर ने दावा किया कि 2012-2022 तक उनके नाम या उपनाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है और न ही यूपीएससी को उन्होंने अपने बारे में कोई गलत जानकारी उपलब्ध कराई है। उन्होंने कहा, ‘यूपीएससी ने बायोमेट्रिक डेटा के जरिए मेरी पहचान को वेरिफाई किया, आयोग ने मेरे द्वारा प्रस्तुत कोई भी दस्तावेज जाली या मनगढ़ंत नहीं पाया। मेरा शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जन्मतिथि और व्यक्तिगत जानकारी सहित अन्य सभी विवरण डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म (DAF) में सुसंगत बने हुए हैं।’
UPSC और DoPT ने सत्यापित की थी पहचान
पूजा ने अपने जवाब में कहा है, ‘यूपीएससी ने 2019, 2021 और 2022 में पर्सनैलिटी टेस्ट के दौरान एकत्र किए गए बायोमेट्रिक डेटा (साइबर और फिंगरप्रिंट) के माध्यम से मेरी पहचान सत्यापित की है। फिर 26 मई, 2022 को पर्सनैलिटी टेस्ट के दौरान आयोग द्वारा सभी दस्तावेजों को सत्यापित किया गया था। मैंने अपने नाम और प्रमाणपत्रों में विसंगतियों को ठीक करने के लिए हलफनामा और आधिकारिक राजपत्र भी प्रस्तुत किए और पीडब्ल्यूबीडी (Person with Benchmark Disability), जाति और पिता के नाम के डिक्लरेशन के लिए यूपीएससी के अनुरोध का पालन किया। इसलिए आयोग की ओर से यह कहना गलत है कि मैंने अपना नाम गलत नाम बताया।’
उन्होंने कहा, ‘डीओपीटी की ओर से भी मेरे बारे में सभी आवश्यक सत्यापन किए गए। डीओपीटी के अनुसार एम्स द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने मेरा मेडिकल टेस्ट किया। मेडिकल बोर्ड ने मेरी दिव्यांगता को 47% तक और PwBD कैटेगरी के लिए आवश्यक 40% डिसेबिलिटी से कहीं अधिक पाया।
‘मेरे कोई भी दस्तावेज जाली या मनगढ़ंत नहीं‘
पूजा ने कोर्ट में कहा कि उनके द्वारा यूपीएससी के समक्ष प्रस्तुत कोई भी दस्तावेज जाली या मनगढ़ंत नहीं हैं और सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने यूपीएससी को अपने बारे में कोई भी गलत जानकारी मुहैया नहीं कराई है या धोखाधड़ी नहीं की है, जैसा कि दिल्ली क्राइम ब्रांच के समक्ष 19 जुलाई, 2024 को दर्ज एफआईआर में मुझ पर आरोप लगाए गए हैं।’
पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर पर क्या आरोप लगे हैं?
उल्लेखनीय है कि पूजा खेडकर 2023 बैच की ट्रेनी IAS थीं। उन्हें सिविल सर्विसेज एग्जाम-2022 में 841वीं रैंक मिली थी। जून, 2024 से मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में उनकी ट्रेनिंग चल रही थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने आरक्षण का लाभ लेने के लिए यूपीएससी को अपने बारे में गलत जानिकारियां मुहैया कराई थीं। उन पर अपनी उम्र और माता-पिता से जुड़ी गलत जानकारी देने, पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेज का एग्जाम देने, फर्जी कास्ट और दिव्यांगता सर्टिफिकेट जमा कराने का आरोप है। यूपीएससी ने अपनी आंतरिक जांच में पूजा खेडकर को धोखाधड़ी का दोषी पाया और 31 जुलाई, 202 को उनका चयन रद कर दिया था।
कोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग, 29 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
यूपीएससी की ओर से पूजा के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है और उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। पूजा अपनी गिरफ्तारी पर रोक की मांग को लेकर पहले दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट पहुंची थीं। लेकिन अदालत ने एक अगस्त को उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने आठ अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 अगस्त को पूर्व ट्रेनी IAS की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी थी। उन्होंने अदालत से अग्रिम जमानत की मांग की है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 29 अगस्त को होनी है।