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महाराष्ट्र में फिर सियासी हलचल तेज : अजीत पवार के नेतृत्व में NCP के 30 विधायक भाजपा के साथ जाने को तैयार?

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मुंबई, 18 अप्रैल। महाराष्ट्र में आगामी दिनों एक बार फिर बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिल सकता है। इस क्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजीत पवार के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच यह बात सामने आ रही है कि अजीत पवार एक बार फिर से भाजपा-शिंदे के साथ सहयोगी बनने के लिए पार्टी में समर्थन जुटा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार एनसीपी के 53 विधायकों में से लगभग 30-34 विधायकों ने अजीत पवार को भाजपा के साथ हाथ मिलाने और शिंदे-फडणवीस सरकार का हिस्सा बनने के लिए समर्थन दे दिया है।

कौन-कौन नेता अजीत पवार के साथ?

जिन नेताओं का अजीत पवार को समर्थन हैं, उनमें प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे जैसे प्रमुख चेहरे शामिल हैं। वहीं प्रदेश एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल और जितेंद्र अवध बीजेपी से हाथ मिलाने के पक्ष में नहीं हैं। अजीत पवार गुट ने शरद पवार से मुलाकात की और उन्हें सूचित किया है कि विधायक भाजपा के साथ गठबंधन करने के इच्छुक हैं। हालांकि शरद पवार ने बीजेपी-शिंदे के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया।

शरद पवार बोले – विधायक जाएंगे तो निजी हैसियत से, पार्टी नहीं जाएगी

एनसीपी सूत्रों के अनुसार शरद पवार ने संजय राउत से कहा, ‘अगर लोग जाते हैं तो वे विधायक होंगे (वे व्यक्तिगत रूप से विधायक के रूप में जाएंगे) पार्टी नहीं जाएगी। विधानसभा में संख्या बल देखा जाए तो शिंदे-भाजपा गुट इसमें भारी है। लेकिन लोकसभा के लिए अजीत और एनसीपी विधायक यदि शिंदे-भाजपा के साथ आ जाते हैं, तो यह एनडीए के लिए क्लीन स्वीप हो सकता है। लोकसभा सीटों के लिहाज से महाराष्ट्र यूपी के बाद दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जहां 48 सीटें हैं।

यह कदम अजीत पवार और उनके खेमे को केंद्रीय एजेंसियों से राहत देने वाला होगा। अजीत, उनका परिवार, प्रफुल्ल पटेल, भुजबल, हसन मुश्रीफ आदि सभी ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लेकर फंड की कमी को खत्म करवा सकते हैं.

भाजपा के साथ जाने में अड़चन क्या?

हालांकि अजीत पवार ने अब तक शिंदे की राह पर (पार्टी तोड़ने) चलने की हिम्मत नहीं जुटाई है। अजीत गुट के और भी कई नेता चाहते हैं कि किसी तरह शरद पवार को मना लिया जाए। शरद पवार के आशीर्वाद के बिना वे जाना नहीं चाहते हैं. अजीत पवार को डर है कि यदि शरद पवार ने समर्थन नहीं किया तो उन्हें 2019 की तरह शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है।

भाजपा भी इस बार अजीत के वादे को पूरा करने के लिए आश्वस्त होना चाहती है। अजीत पवार ने विधायकों को यह पूछने के लिए फोन करना शुरू कर दिया है कि उनके मन में क्या है और क्या वे भाजपा-शिवसेना के साथ गठबंधन करने के लिए उनके साथ आने को तैयार हैं.

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