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बांग्लादेश में सियासी संकट खत्म : इस्तीफे की धमकी दे रहे मो. युनूस अब पद पर बने रहने के लिए सहमत

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नई दिल्ली, 24 मई। बांग्लादेश में चुनाव को लेकर बढ़ते असंतोष के बीच अंतरिम सरकार और सेना के आमने-सामने आने से उपजा सियासी संकट खत्म होता प्रतीत हो रहा है क्योंकि अंतरिम सरकार के प्रमुख व सलाहकार परिषद के प्रमुख पद से इस्तीफा देने का मन बना रहे प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने अब विचार बदल दिया है और परिषद की एक अहम बैठक में देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति, भेदभाव व प्रशासन की चुनौतियों पर गंभीर चर्चा के बाद वह अंतरिम सरकार के प्रमुख बने रहने के लिए सहमत हो गए हैं।

एडवाइजरी कमेटी की तरफ से एक एक्स पोस्ट में बताया गया है कि यह बैठक राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के बाद शनिवार को राजधानी के शेर-ए-बांग्ला नगर में योजना आयोग की इमारत में आयोजित की गई। बैठक का आयोजन अचानक किया गया, जिसमें चुनाव, सुधार और न्याय जैसे तीन अहम विषयों पर चर्चा हुई।

देश का सामान्य कामकाज बाधित हो रहा है – यूनुस

प्रोफेसर यूनुस ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि देश का सामान्य कामकाज बाधित हो रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से असंबद्ध मांगें, अवैध बयान और कार्यक्रम देश में संदेह और भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन परेशानियों के बावजूद सरकार अपने दायित्यों को पूरा कर रही है और इसे काटने वाली कोशिशों को अस्वीकार करती है।

सलाहकार परिषद की सभी राजनीतिक दलों से एकजुटता की अपील

बयान में कहा गया है कि सलाहकार परिषद ने देश की स्थिरता बनाए रखने, आगामी चुनावों, सुधारों और न्यायिक व्यवस्था को मजबूती देने के लिए सभी राजनीतिक दलों से एकजुटता की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि देश में किसी भी तरह के तानाशाही के आगमन को स्थायी रूप से रोका जाना चाहिए.

विदेशी साजिशों के प्रभाव का दावा

बयान के अनुसार अंतरिम सरकार इस समय देश की उम्मीदों के अनुरूप काम कर रही है, जो जुलाई के तख्तापलट के बाद बनी थी। सरकार राजनीतिक दलों के विचारों को सुनने के लिए तैयार है और स्थिति स्पष्ट करने में सतर्क है। यदि हारे हुए दलों या विदेशी साजिशों के प्रभाव के कारण सरकार को उसके काम को पूरा करने से रोका जाता है, तो शासन जनता के समक्ष पूरी स्थिति रखकर आगामी कदम उठाएगा।

प्रोफेसर यूनुस ने कहा कि सरकार निष्पक्ष चुनाव, न्यायिक प्रक्रियाओं और सुधारों को बाधित करने वाले किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगी। अगर जरूरत पड़ी, तो जनता के समर्थन से मुश्किल फैसले लिए जाएंगे ताकि देश विकास और स्थिरता के मार्ग पर अग्रसर हो सके।

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