जम्मू, 4 फरवरी। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है। इलाके में सभी मकान मालिकों के द्वारा रखे किरायेदारों के बारे में पुलिस को जानकारी देना जरूरी है। ऐसे में जिन मकान मालिकों ने इस संबंध में पुलिस को उचित जानकारी नहीं दी है, उनके खिलाफ पुलिस काररवाई में जुट गई है।
कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर मुहम्मद हनीफ के खिलाफ मामला दर्ज
इसी क्रम में जम्मू पुलिस ने आईपीसी की धारा 188 के तहत बठिंडा में रहने वाले जम्मू-कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर मुहम्मद हनीफ के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसने अध्यापक से आतंकी बने मुहम्मद आरिक शेख को अपने घर पर किराएदार के तौर पर तो रखा था। सब इंस्पेक्टर मुहम्मद हनीफ ने आतंकी के बारे में कोई जानकारी इकट्ठा नहीं की थी। मुहम्मद आरिफ शेख इस सब इंस्पेक्टर के घर पर अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रह रहा था।
गणतंत्र दिवस से पहले 40 मकान मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी
हालांकि जम्मू में यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें पुलिस ने किराएदारों का सत्यापन न करवाने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया हो बल्कि गणतंत्र दिवस से पहले ऐसे 40 मकान मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिन्होंने जम्मू के उपायुक्त के निर्देशों का उल्लंघन किया था।
पुलिस के मुताबिक, गणतंत्र दिवस से पहले जम्मू में पुलिस ने 10,000 किरायेदारों की पहचान सत्यापित की और 40 मकान मालिकों के खिलाफ किरायेदारों का विवरण दे पाने में विफल रहने पर एफआईआर दर्ज की है।
दरअसल, इस साल 11 जनवरी को जम्मू के उपायुक्त द्वारा पुलिस के निवेदन पर एक बार फिर जम्मू में रह रहे किराएदारों का सत्यापन करवाने और तीन दिनों के भीतर ऐसा न करने वालों के विरुद्ध काररवाई करने की चेतावनी दी गई थी। इस आदेश के बाद पुलिस ने शहर के कई इलाकों में लोगों से पूछताछ भी की है।
जम्मू शहर में 10 हजार किराएदार बिना सत्यापन के रह रहे थे
जम्मू शहर में दो साल में भी इतनी एफआईआर दर्ज नहीं हुई हैं, जितनी सिर्फ जम्मू शहर में ही एक महीने में 10,000 किरायेदारों का सत्यापन के मामले में हुई हैं। इससे पता चलता है कि शहर में 10 हजार किराएदार बिना सत्यापन के रह रहे थे।
एसएसपी जम्मू ने डीसी से सिफारिश की थी कि तीन दिनों में सत्यापन कराने का आदेश जारी करें। पुलिस के पास इनपुट हैं कि किरायेदारों की आड़ में ओजी वर्कर, अपराधी पनाह लेकर रह रहे हैं, लिहाजा काररवाई करने की जरूरत है। इतना जरूर था कि ताजा आदेश की सच्चाई यह थी कि पिछले 8 सालों के दौरान पुलिस और प्रशासन द्वारा ऐसे कितने आदेश निकाले जा चुके थे, अब दोनों को भी शायद याद नहीं हैं।
अगर देखा जाए तो साल में दो से तीन बार ऐसा आदेश निकाला जाता रहा है। लेकिन किराएदारों के सत्यापन करवाने वालों का आंकड़ा एक से दो प्रतिशत से आगे ही नहीं बढ़ पाया था। दरअसल, ऐसा न कर पाने वालों पर भारतीय संविधान की धारा 188 के तहत काररवाई की जो चेतावनी दी गई है, उसमें अधिकतम जुर्माना 200 रुपये है।