अगरतला/शिलॉन्ग, 2 मार्च। पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों पूर्वोत्तर राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि विपक्ष कह रहा है ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’, लेकिन जनता का कहना है कि ‘मोदी तेरा कमल खिलेगा’। प्रधानमंत्री की यह भविष्यवाणी सच साबित होती दिख रही है। इस क्रम में त्रिपुरा में भाजपा 32 सीटों पर बढ़त के साथ रुझानों में फिर से सरकार बना रही है। वहीं नागालैंड में भी उसे 12 सीटों पर बढ़त है, जिनमें से दो पर वह जीत चुकी है।
इसके अलावा 60 सीटों वाले राज्य मेघालय में सबसे ज्यादा 24 सीटों पर एनपीपी आगे चल रही है, जो कि बहुमत से दूर का आंकड़ा है। ऐसे में पांच सीटों वाली भाजपा और कुछ अन्य के साथ मिलकर एनपीपी सरकार बना सकती है। यहां पहले भी भाजपा एनपीपी सरकार का हिस्सा थी। इस तरह तीनों ही राज्यों में भाजपा की सत्ता में हिस्सेदारी होगी।
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वोट शेयर के मामले में भी भाजपा की अच्छी स्थिति दिख रही है। पूर्वोत्तर राज्यों में कभी बेहद कमजोर कही जाने वाली भाजपा को त्रिपुरा में 39 फीसदी वोट मिले हैं। इसके अलावा नागालैंड में भी उसे 18 फीसदी लोगों ने पसंद किया है। मेघालय में भाजपा के खाते में 8 फीसदी वोट जाते दिख रहे हैं। टीएमसी को भी मेघालय में पांच सीटें मिल सकती हैं। हालांकि वह सत्ता से दूर ही रहेगी।
इस बीच एनपीपी के कोनराड संगमा और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के बीच मुलाकात की खबर है। समझा जाता है कि ऐसे में दोनों मिलकर मेघालय में सरकार बना सकते हैं।
भाजपा के लिए सबसे अहम होगी त्रिपुरा की जीत
भाजपा के लिए सबसे अहम त्रिपुरा की जीत होगी। 2018 में सत्ता में आई भाजपा को यहां इससे पहले छिटपुट सफलता ही मिली थी, लेकिन पहली बार 5 साल पहले ही उसे सत्ता मिली थी। ऐसे में उसका यहां पर खुद को रिपीट करना अहम होगा। बंगाली और आदिवासी समुदाय की आबादी वाले त्रिपुरा में भाजपा की जीत उसके लिए देशभर में मायने रखेगी। खासतौर पर आदिवासी बहुल इलाकों में भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है। इसी साल मध्य प्रदेश में इलेक्शन होने हैं, जहां एक करोड़ से अधिक आबादी आदिवासियों की है। यहां वह त्रिपुरा की जीत का जिक्र कर आदिवासी वोट बैंक पर दावा ठोक सकती है।
त्रिपुरा में 4 सीटों पर कांग्रेस आगे, सीपीएम के 12 उम्मीदवार आगे
वहीं कांग्रेस की बात करें तो उसके लिए ये चुनाव बेहद निराशाजनक हैं। इस साल कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं और इस तरह खाता खुलना उसके लिए परेशान करने वाला है। त्रिपुरा में कांग्रेस सिर्फ चार सीटों पर ही आगे चल रही है और उसे आठ फीसदी वोट ही मिले हैं। इसके अलावा लेफ्ट पार्टी सीपीएम को भी 24 फीसदी वोट ही मिल सके हैं। नागालैंड और मेघालय में भी कांग्रेस के लिए रुझान बहुत उत्साह बढ़ाने वाले नहीं हैं।