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भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पीएम मोदी की नेताओं को नसीहत – वोट की चिंता किए बिना समाज के सभी तबकों से रिश्ता कायम करें

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नई दिल्ली, 17 जनवरी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे व अंतिम दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में पार्टी नेताओं को नसीहत दी और कहा कि वे वोट मिलने की चिंता किए बगैर समाज के सभी तबकों के लोगों के साथ संवेदनशीलता के साथ रिश्ता कायम करें।

भाजपा को सिर्फ वोट की चिंता नहीं बल्कि देश और समाज को बदलना है

सूत्रों के मुताबिक, कार्यकारिणी की बैठक में पीएम मोदी ने बोहरा और पसमांदा मुस्लिम के अलावा सिख और ईसाई समुदाय सहित अल्पसंख्यक समुदाय के प्रोफेशनल और शिक्षित लोगों के साथ वोट की चिंता किए बगैर रिश्ता कायम करने को कहा क्योंकि भाजपा को सिर्फ वोट की चिंता नहीं है, बल्कि देश और समाज को बदलना है। उन्होंने मुस्लिमों के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक बयान देने से बचने को कहा और पार्टी नेताओं को समाज के सभी तबकों के साथ रिश्ता कायम करने के अलावा विश्वविद्यालय और चर्च में भी जाने की सलाह दी।

भारत के जीवन का सर्वोत्तम काल आ रहा है

पीएम मोदी के समापन भाषण की जानकारी देते हुए महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री ने समाज के हाशिये पर बैठे लोगों और पिछड़े तबके के लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आह्वान करने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री ने एक राजनीतिक नेता नहीं बल्कि स्टेट्समैन की तरह भाषण देते हुए कहा कि भारत के जीवन का सर्वोत्तम काल आ रहा है और भाजपा कार्यकर्ताओं को परिश्रम की पराकाष्ठा करते हुए इस अमृत काल को कर्तव्य काल में परिवर्तित करने के लिए कार्य करना चाहिए।

’18 से 25 वर्ष के युवाओं को सुशासन और कुशासन के बीच अंतर बताएं

पीएम मोदी ने मतदाताओं की पूरी सेवा करने के साथ ही देश के 18 से 25 वर्ष के युवाओं को जागरूक करने के लिए उन्हें सुशासन और कुशासन के बीच अंतर बताने को कहा ताकि युवाओं को यह पता लग सके कि पिछली सरकारों के कार्यकाल में किस तरह से अनाचार और भ्रष्टाचार होता था, कुशासन था और भाजपा किस तरह से कुशासन के उस दौर से देश को निकाल कर सुशासन की तरफ लेकर आई है। पीएम मोदी ने कहा कि वह विपक्ष को कभी भी कमजोर नहीं समझते हैं, लेकिन सभी को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

अपने संबोधन के दौरान मोदी ने भाजपा के विभिन्न मोर्चों को सीमाई क्षेत्रों में अपने कार्यक्रम करने, आकांक्षी जिलों के विकास में योगदान देने, काशी-तमिल संगमम की तर्ज पर अन्य भाषाओं से जुडे़ कार्यक्रमों का आयोजन करने और पार्टी के प्राथमिक सदस्यों का जिलेवार सम्मेलन करने का सुझाव दिया।

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