पटना, 14 जुलाई। बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में राज्य पुलिस ने एक आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, जिसके निशाने पर गत 12 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी का बिहार दौरा था। हमले के लिए पीएम के दौरे से 15 दिन पहले फुलवारी शरीफ में संदिग्ध आतंकियों की ट्रेनिंग भी शुरू हुई थी।
बिहार पुलिस ने फुलवारी शरीफ में एक ठिकाने पर छापा मारकर दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए दोनों कथित आतंकवादियों में से एक झारखंड पुलिस का रिटायर्ड दरोगा मोहम्मद जलालुद्दीन और दूसरा अतहर परवेज है। अतहर परवेज पटना के गांधी मैदान में हुए बम धमाके का आरोपित मंजर का सगा भाई है।
पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े हैं दोनों संदिग्ध आतंकियों के तार
पुलिस ने बताया कि दोनों संदिग्ध आतंकवादियों के तार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) से जुड़े हैं। इन दोनों के पास से पीएफआई का झंडा, बुकलेट, पंफलेट और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए हैं। प्राप्त दस्तावेजों में भारत को वर्ष 2047 तक इस्लामिक मुल्क बनाने का जिक्र भी किया गया है।
मार्शल आर्ट और शारीरिक शिक्षा देने के नाम पर चला रहे थे आतंक की पाठशाला
प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों संदिग्ध आतंकवादी पिछले कुछ समय से पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में आतंक की पाठशाला चला रहे थे। अतहर परवेज मार्शल आर्ट और शारीरिक शिक्षा देने के नाम पर मोहम्मद जलालुद्दीन के साथ मिलकर एनजीओ चला रहा था। अतहर ने जलालुद्दीन के फुलवारी शरीफ स्थित अहमद पैलेस, नया टोला इलाके में स्थित फ्लैट 16,000 प्रति माह की दर से किराये पर लिया था, जहां से वह देश विरोधी मुहिम चला रहा था।
आईबी को मिली जानकारी के बाद 11 जुलाई को हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने बताया कि छह और सात जुलाई को अतहर परवेज ने किराए पर लिए गए ऑफिस में कई युवाओं को मार्शल आर्ट और शारीरिक शिक्षा देने के नाम पर बुलाया और फिर उन्हें अस्त्र-शस्त्र की ट्रेनिंग तथा धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए भड़काया। आईबी को इस बाबत जानकारी मिली कि पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में एक संभावित आतंकी मॉड्यूल संचालित हो रहा है, जिसके बाद 11 जुलाई को नया टोला इलाके में पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने छापेमारी की और दोनों संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया।
हिन्दुओं के खिलाफ मुस्लिमों को भड़काना मुख्य उद्देश्य
बताया जा रहा है कि अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन का मुख्य उद्देश्य हिन्दुओं के खिलाफ मुस्लिमों को भड़काना था। वे मुस्लिम नौजवानों को अस्त्र-शास्त्र की ट्रेनिंग दिया करते थे और फिर राष्ट्रीय स्तर, राज्य स्तर, जिला स्तर पर पीएफआई और एसडीपीआई के सक्रिय सदस्यों के साथ बैठकों में उनकी भागीदारी कराते थे। दोनों संदिग्ध आतंकी जेल में बंद सिमी के पुराने सदस्यों की जमानत करवाते थे और उन्हें आतंकी ट्रेनिंग भी देते थे।
कई राज्यों से आतंकी ट्रेनिंग के लिए आते थे युवक
यह खुलासा भी हुआ है कि ज्यादातर युवा केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और अन्य कई राज्यों से यहां आतंक की ट्रेनिंग लेने के लिए आया करते थे। पुलिस के अनुसार इन दोनों संदिग्ध आतंकवादियों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की समेत कई इस्लामिक देशों से फंडिंग होती थी ताकि वे देश में रहकर देश विरोधी मुहिम चला सकें।