नई दिल्ली, 15 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भूमि क्षरण ने दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है और यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता एवं सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा। पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे को लेकर उच्चस्तरीय संवाद को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
पीएम मोदी ने मरुस्थलीकरण से निबटने में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के सभी पक्षों के 14वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में प्रारंभिक सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भूमि जीवन और आजीविका के लिए मूलभूत अंग है और सभी को इसे समझाने की जरूरत है।
- भूमि क्षरण से दुनिया का दो-तिहाई हिस्सा प्रभावित
उन्होंने कहा, ‘यह दुखद है कि भूमि क्षरण ने आज दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह हमारे समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा। इसलिए हमें भूमि और इसके संसाधनों पर भयंकर दबाव को कम करना होगा। अभी आगे बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हम साथ मिलकर इसे कर सकते हैं।’
- भारत में लोग भूमि को अपनी माता भी मानते हैं
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में भूमि को हमेशा से महत्व दिया जाता रहा है और इसे लोग अपनी माता भी मानते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने भूमि क्षरण को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा बनाया है। पिछले 10 वर्षों में भारत ने 30 लाख हेक्टेयर जमीन को जोड़ा है। इसने संयुक्त वन क्षेत्र को देश के कुल क्षेत्रफल के लगभग 1/4 भाग तक बढ़ा दिया है।
उन्होंने कहा, ‘हम भूमि क्षरण तटस्थता की अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को प्राप्त करने की राह पर हैं। हम 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। यह 2.5-3 बिलियन टन कॉर्बन डाई ऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक को प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता में योगदान देगा।
गौरतलब है कि इस उच्चस्तरीय संवाद में मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे से निबटने में किए गए प्रयासों में हुई प्रगति का आकलन किया जाना है। साथ ही इसमें मरुस्थलीकरण के खिलाफ संघर्ष करने और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने के बारे में संयुक्त राष्ट्र की कार्य योजना भी तैयार की जाएगी।