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भारत को अब समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना मंजूर नहीं : पीएम मोदी

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देहरादून, 5 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत को अब समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना मंजूर नहीं है। देश अब अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय सीमाएं निर्धारित करता है। शुक्रवार को उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में 320 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।

अब हमारी सांस्कृतिक विरासतों और आस्था के केंद्रों को गौरवभाव से देखा जा रहा

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘हमारे यहां सदियों से चारधाम यात्रा का महत्व रहा है, द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन की, शक्तिपीठों के दर्शन की, अष्टविनायक जी के दर्शन की, ये सारी यात्राओं की परंपरा, ये तीर्थाटन हमारे यहां जीवन काल का हिस्सा माना गया है। अब हमारी सांस्कृतिक विरासतों को, आस्था के केंद्रों को उसी गौरवभाव से देखा जा रहा है, जैसा देखा जाना चाहिए।’

अयोध्या का दीपोत्सव पूरी दुनिया ने देखा, विश्वनाथ धाम का तेजी से विकास हो रहा

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है, अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है। अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा। भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में काशी का भी कायाकल्प हो रहा है। विश्वनाथ धाम का कार्य बहुत तेज गति से पूर्णता की तरफ आगे बढ़ रहा है।’

भविष्य में श्रद्धालु केबल कार के जरिए केदारनाथ जी तक आ सकेंगे

पीएम मोदी ने कहा कि चारधाम सड़क परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है, चारों धाम हाईवेज से जुड़ रहे हैं। भविष्य में यहां केदारनाथ जी तक श्रद्धालु केबल कार के जरिए आ सकें, इससे जुड़ी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं। हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है।

आदि शंकराचार्य ने देश, समाज और मानवता के लिए एक सशक्त परंपरा खड़ी की

पीएम मोदी ने कहा, एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था। लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ, होलिस्टिक वे में देखता है। आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया। आदि शंकराचार्य जी ने पवित्र मठों की स्थापना की, चार धामों की स्थापना की, द्वादश ज्योतिर्लिंगों का पुनर्जागरण का काम किया। उन्होंने सबकुछ त्यागकर देश, समाज और मानवता के लिए जीने वालों के लिए एक सशक्त परंपरा खड़ी की।’

आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का मेल भगवान शंकर की कृपा का परिणाम

प्रधानमंत्री ने वर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी को याद करते हुए कहा, ‘बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी की ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा।’

उन्होंने कहा, ‘इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं। मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी जी का, और इन कामों की जिम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूं।’

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