नई दिल्ली, 27 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी के बीच देश का निर्यात 400 अरब डॉलर के पार जाने में देश के कृषि, हस्तशिल्प एवं हथकरघा उद्योगों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा है कि यदि प्रत्येक देशवासी स्थानीय वस्तुओं का आग्रही हो जाए तो भारत की स्थानीय वस्तुओं को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय होने में देर नहीं लगेगी। रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 87वें एपीसोड में उन्होंने यह बात कही।
30 लाख करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य हासिल करने पर जाहिर की खुशी
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘बीते सप्ताह हमने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की, जिसने हम सबको गर्व से भर दिया। आपने सुना होगा कि भारत ने पिछले सप्ताह 400 अरब डॉलर, यानी, 30 लाख करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य हासिल किया है। पहली बार सुनने में लगता है कि यह अर्थव्यवस्था से जुड़ी बात है, लेकिन यह अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा भारत के सामर्थ्य एवं क्षमता से जुड़ी बात है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘एक समय में भारत से निर्यात का आँकड़ा कभी 100 अरब, डेढ़ सौ अरब और कभी दो सौ अरब डॉलर तक हुआ करता था। अब आज भारत 400 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इसका एक मतलब यह है कि दुनियाभर में भारत में बनी चीजों की मांग बढ़ रही है। दूसरा मतलब यह है कि भारत की आपूर्ति श्रृंखला दिनों-दिन और मजबूत हो रही है।’
देश के कोने-कोने से नए-नए उत्पाद अब विदेश जा रहे
पीएम मोदी ने कहा कि देश के कोने-कोने से नए-नए उत्पाद अब विदेश जा रहे हैं। असम के हैलाकांडी के चर्म उत्पाद हों या उस्मानाबाद के हथकरघा उत्पाद, बीजापुर की फल-सब्जियां हों या चंदौली का काला चावल, सबका निर्यात बढ़ रहा है। अब, आपको लद्धाख की विश्व प्रसिद्द खूबानी दुबई में भी मिलेगी और सऊदी अरब में तमिलनाडु से भेजे गए केले मिलेंगे।
दूसरे देशों में ‘मेक इन इंडिया‘ उत्पाद पहले की तुलना में कहीं ज्यादा नजर आ रहे
उन्होंने कहा, ‘अब सबसे बड़ी बात यह है कि नए-नए उत्पाद नए-नए देशों को भेजे जा रहे हैं। जैसे हिमाचल, उत्तराखण्ड में पैदा हुए मोटे अनाज की पहली खेप डेनमार्क को निर्यात की गई। आंध्र प्रदेश के कृष्णा और चित्तूर जिले के बंगनपल्ली और सुवर्णरेखा आम, दक्षिण कोरिया को निर्यात किये गए। त्रिपुरा से ताजा कटहल, हवाई रास्ते से, लंदन निर्यात किये गए और तो और पहली बार नगालैंड की राजा मिर्च को लंदन भेजा गया। इसी तरह भालिया गेहूं की पहली खेप, गुजरात से केन्या और श्रीलंका निर्यात की गयी। यानी, अब आप दूसरे देशों में जाएंगे, तो मेक इन इंडिया उत्पाद पहले की तुलना में कहीं ज्यादा नजर आएंगे।’
‘लोकल को ग्लोबल बनाएं और हमारे उत्पादों की प्रतिष्ठा को और बढ़ाएं‘
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘यह सूची जितनी लम्बी है, उतनी ही बड़ी मेक इन इंडिया की ताकत है, उतना ही विराट भारत का सामर्थ्य है और सामर्थ्य का आधार है – हमारे किसान, हमारे कारीगर, हमारे बुनकर, हमारे इंजीनियर, हमारे लघु उद्यमी, हमारा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई), ढ़ेर सारे अलग-अलग पेशेवर के लोग, ये सब इसकी सच्ची ताकत हैं। इनकी मेहनत से ही 400 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य प्राप्त हो सका है और मुझे खुशी है कि भारत के लोगों का ये सामर्थ्य अब दुनिया के कोने-कोने में, नए बाजारों में पहुंच रहा है। जब एक-एक भारतवासी लोकल के लिए वोकल होता है तब लोकल को ग्लोबल होते देर नहीं लगती है। आइए, लोकल को ग्लोबल बनाएं और हमारे उत्पादों की प्रतिष्ठा को और बढ़ाएं।’
उन्होंने कहा, ‘घरेलू स्तर पर भी हमारे लघु उद्यमियों की सफलता हमें गर्व से भरने वाली है। आज हमारे लघु उद्यमी सरकारी खरीद में सरकारी ई मार्केट यानी जीईएम के माध्यम से बड़ी भागीदारी निभा रहे हैं। टेक्नोलॉजी के माध्यम से बहुत ही पारदर्शी व्यवस्था विकसित की गई है। पिछले एक साल में जीईएम पोर्टल के जरिए, सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की चीजें खरीदी हैं। देश के कोने-कोने से करीब-करीब सवा-लाख लघु उद्यमियों, छोटे दुकानदारों ने अपना सामान सरकार को सीधे बेचा है। एक जमाना था जब बड़ी कम्पनियां ही सरकार को सामान बेच पाती थीं। लेकिन अब देश बदल रहा है, पुरानी व्यवस्थाएं भी बदल रही हैं। अब छोटे से छोटा दुकानदार भी जीईएम पोर्टल पर सरकार को अपना सामान बेच सकता है।’
‘हम सभी भारतीय मिलकर आत्मनिर्भर भारत का सपना भी जरूर पूरा करेंगे‘
पीएम मोदी ने कहा कि देश विराट कदम तब उठाता है, जब सपनों से बड़े संकल्प होते हैं। जब संकल्पों के लिए दिन-रात ईमानदारी से प्रयास होता है, तो वो संकल्प, सिद्ध भी होते हैं, और आप देखिए, किसी व्यक्ति के जीवन में भी तो ऐसा ही होता है। जब किसी के संकल्प, उसके प्रयास, उसके सपनों से भी बड़े हो जाते हैं तो सफलता उसके पास खुद चलकर के आती है। उन्होंने कहा, ‘यही तो नया भारत है। ये न केवल बड़े सपने देखता है, बल्कि उस लक्ष्य तक पहुंचने का साहस भी दिखाता है, जहां पहले कोई नहीं पहुंचा है। इसी साहस के दम पर हम सभी भारतीय मिलकर आत्मनिर्भर भारत का सपना भी जरूर पूरा करेंगे।’