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अब बैंकों के डूबने पर भी जमाकर्ताओं का पैसा नहीं डूबता : पीएम मोदी

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नई दिल्ली, 12 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि अब बैंकों के डूबने पर जमाकर्ताओं का पैसा नहीं डूबता है और उनकी जमा का समयबद्ध तरीके से भुगतान किया जाता है। वह राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में रविवार को ‘जमाकर्ता प्रथम : पांच लाख रुपये तक का गारंटीशुदा समयबद्ध जमा बीमा भुगतान’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज देश के लिए, ‘बैंकिंग सेक्टर के लिए और देश के करोड़ों अकाउंट होल्डर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। आज के आयोजन का जो नाम दिया गया है उसमें ‘डिपॉजिटर्स फर्स्ट: जमाकर्ता सबसे पहले’ की भावना को सबसे पहले रखना इसे और सटीक बना रहा है।

बैंकों को बचाना है, तो जमाकर्ताओं को सुरक्षा देनी होगी

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यदि बैंकों को बचाना है, तो जमाकर्ताओं को सुरक्षा देनी होगी। हमने बैंकों को बचाकर जमाकर्ताओं को यह सुरक्षा दी है। जमा बीमा भुगतान की गारंटी के पीछे की प्रेरणा जमाकर्ता हैं। एक साल में एक लाख जमाकर्ताओं को 1,300 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।’

पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था, जब जमाकर्ताओं को दबाव वाले बैंकों से अपना पैसा वापस पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था। गरीब व  मध्यम वर्ग वर्षों तक इस परेशानी से जूझता रहा। लेकिन अब सरकार ने कानून में बदलाव किया है, जिससे बैंकों के बंद होने पर जमाकर्ताओं को समयबद्ध तरीके से उनकी जमा का भुगतान किया जाता है।

जमाकर्ताओं को मिलने वाली राशि एक से बढ़ाकर 5 लाख की गई

उन्होंने कहा कि सरकार ने दबाव वाले बैंकों से जमाकर्ताओं को मिलने वाली राशि की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी है। इसके दायरे में 98 प्रतिशत खाताधारक आते हैं। उन्होंने बताया कि 90 दिनों के भीतर गारंटीशुदा समयबद्ध जमा बीमा भुगतान के दायरे में बैंकों में 76 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि आती है।

बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटे बैंकों को सक्षम बनाने, उनकी क्षमता और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए उनका विलय सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंकों के साथ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन तथा कर्ज तक सुगम पहुंच का सबसे अधिक लाभ महिलाओं को मिल रहा है।

पीएम मोदी ने कहा, ‘कोई भी देश समस्याओं का समय पर समाधान करके उन्हें विकराल होने से बचा सकता है। लेकिन वर्षों तक हमारे यहां यह प्रवृत्ति रही कि समस्या है, इसे टाल दो। आज का नया भारत समस्या के समाधान पर जोर लगाता है, समस्या को टालता नहीं है।’

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