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नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन पर पीएम मोदी बोले – ‘आग की लपटें किताब जला सकती हैं, ज्ञान नहीं’

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राजगीर, 19 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यहां नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का लोकार्पण किया और कहा कि इस पुरातन विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना से भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत होने जा रही है। नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का लोकार्पण से पहले पीएम मोदी गया से हेलीकॉप्टर से नालंदा पहुंचे, जहां उन्होंने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों का अवलोकन किया और इतिहास के बारे में गहनता से जानकारी ली।

‘नालंदा केवल एक नाम नहीं है, एक पहचान है, एक सम्मान है

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘नई सरकार के कार्यकाल शुरू होने के 10 दिन के भीतर नालंदा आने का सौभाग्य मिला। नालंदा आना मेरा सौभाग्य है। यह मेरा सौभाग्य तो है ही, मैं इसे भारत के विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। नालंदा केवल एक नाम नहीं है। नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं। नालंदा के दंश ने भारत को अंधकार से भर दिया था। अब इसकी पुनर्स्थापना भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत करने जा रहा है। अपने प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा का नवजागरण, यह नया परिसर विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा।’

 उन्होंने कहा, ‘नालंदा बताएगा, जो राष्ट्र मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं, वह राष्ट्र इतिहास को पुनर्जीवित कर के बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं। नालंदा केवल भारत के ही पुनर्जागरण का अतीत नहीं है बल्कि इसमें विश्व के और एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है। एक विश्वविद्यालय के परिसर के उद्घाटन में इतने देशों का उपस्थित होना यह अपने आप में अभूतपूर्व है।’

भारत में शिक्षा मानवता के लिए हमारे योगदान का एक माध्यम मानी जाती है

पीएम मोदी ने कहा, ‘नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की भागीदारी भी रही है। मैं भारत के सभी मित्र देशों का अभिनंदन करता हूं। नालंदा विश्वविद्यालय को भी दुनिया के हर इलाके में जाना जाता है। भारत में शिक्षा मानवता के लिए हमारे योगदान का एक माध्यम मानी जाती है। हम सीखते हैं ताकि अपने ज्ञान से मानवता का भला कर सकें। दो दिन बाद ही 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। आज भारत में योग की सैकड़ों विधाएं मौजूद हैं। हमारे ऋषियों ने इसके लिए कितना गहन शोध किया होगा, लेकिन किसी ने योग पर एकाधिकार नहीं बनाया। आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है। योग दिवस एक वैश्विक उत्सव बन गया है।’

नालंदा विश्वविद्यालय की भव्य इमारत 800 वर्षों बाद फिर बोल उठी

देखा जाए तो विश्व के सर्वोत्तम विश्वविद्यालय में शामिल रहा बिहार का नालंदा विश्वविद्यालय एक बार फिर से नए युग में नई गरिमा के साथ अवलोकित हो रहा है। वर्षों पहले खाक में मिला दी गई नालंदा विश्वविद्यालय की भव्य इमारत 800 वर्षों बाद फिर बोल उठी है। मोहम्मद बख्तियार खिलजी ने 1199 में नालंदा विश्वविद्यालय को न केवल ध्वस्त कर दिया था बल्कि उसमें आग भी लगा दी थी। इसकी लाइब्रेरी में रखी लाखों किताबें महीनों तक उस आग में धधकती रहीं। लेकिन अब उसी विश्वविद्यालय को फिर से पुराने वैभव के तहत विकसित किया गया है।

विश्वविद्यालय को उसके स्वर्णिम इतिहास की तरह ही सजाया गया है

नालंदा विश्वविद्यालय को उसके स्वर्णिम इतिहास की तरह ही सजाया गया है। नए परिसर का निर्माण 455 एकड़ के विशाल भूखंड पर किया गया है। राजगीर की पंच पहाड़ियों में शुमार वैभारगिरि की तलहटी में नए नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण हुआ है। नए कैंपस में हर प्रकार की सुविधाएं हैं, जो शैक्षणिक, शोध, निर्माण, ध्यान, स्वास्थ्य आदि की व्यवस्था है।

नालंदा विवि के नए कैंपस की ये हैं विशेषताएं

नए कैंपस में कुल 24 बड़ी इमारतें, 450 क्षमता का निवास हॉल, महिलाओं के लिए तथागत निवास हॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व फूड कोर्ट, 40 हेक्टेयर में जलाशय, अखाड़ा, ध्यान कक्ष, 300 क्षमता का ऑडिटोरियम, योग परिसर, स्पोर्ट्स स्टेडियम, एथलेटिक ट्रैक के साथ आउटडोर स्पोर्ट्स स्टेडियम, व्यायामशाला, अस्पताल, पारंपरिक आहर-पइन जल नेटवर्क, सोलर फार्म आदि हैं।

नए परिसर के निर्माण पर खर्च हुए हैं 1749 करोड़ रुपये

455 एकड़ में फैले नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण पर 1749 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। नए परिसर में दो शैक्षणिक ब्लॉक होंगे। 1900 छात्रों के बैठने की क्षमता है। 550 छात्रों की क्षमता वाले हॉस्टल हैं। 2000 लोगों की क्षमता वाला एम्फीथिएटर है। तीन लाख किताब की क्षमता वाली लाइब्रेरी है। नेट जीरो ग्रीन कैंपस है।

विश्वविद्यालय की कल्पना भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन देशों के बीच संयुक्त सहयोग के रूप में की गई है। यह दुनिया का सबसे बड़ा नेट जीरो कार्बन कैम्पस है। यह परिसर कॉम्प्लैक्स सोलर प्लांट, घरेलू और पेयजल ट्रीटमेंट प्लांट, बेकार पानी को दोबारा इस्तेमाल करने के लिए एक वॉटर रिसाइक्लिंग प्लांट, 100 एकड़ वाटर यूनिट और कई अन्य पर्यावरण-अनुकूल सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर है।