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कटक की चुनावी रैली में बोले पीएम मोदी : ओडिशा में 10 जून को भाजपा का पहला मुख्यमंत्री शपथ लेगा

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कटक, 20 मई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि बीजू जनता दल (BJD) की सरकार जाने वाली है और राज्य में भाजपा का पहला मुख्यमंत्री 10 जून को शपथ लेगा। पीएम मोदी पुरी में रोड शो करने के बाद कटक में चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे।

‘ओडिशा में एक माफिया है, जिसने सभी क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि वह बीजेडी के शासन में ओडिशा के ‘विनाश’ से परेशान हैं जबकि राज्य खनिज संसाधनों से समृद्ध है, फिर भी यहां के लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा, ‘बीजेडी ने जमीन, रेत और कोयला – सब माफिया को दे दिया है। ओडिशा में एक माफिया है, जिसने सभी क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है और वह माफिया प्रदेश में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होने देता। ओडिशा में भाजपा की सरकार बनने के बाद हम इस माफिया की कमर तोड़ देंगे।’

चिटफंड घोटाले में भी बीजेडी ने ओडिशा की जनता को धोखा दिया

प्रधानमंत्री ने कहा कि जनता बीजेडी के भ्रष्टाचार के गोरखधंधे से त्रस्त है। चिटफंड घोटाले में भी बीजेडी ने ओडिशा की जनता को धोखा दिया है। राज्य सरकार ने लोगों को खनिज संसाधनों का लाभ उठाने से रोका है। उन्होंने कहा, ‘2014 में, केंद्र की सत्ता में भाजपा के आने के बाद हमने एक नई खनिज अन्वेषण नीति तैयार की थी, जिसके तहत ओडिशा को उच्च रॉयल्टी मिल रही है।’

पीएम मोदी ने कहा कि ओडिशा को खनिज रॉयल्टी के रूप में 50,000 करोड़ रुपये और जिला खनिज निधि (डीएमएफ) से 26,000 करोड़ रुपये मिले। यह पैसा सड़कों, स्कूलों और पीने के पानी पर खर्च किया जाना चाहिए था, लेकिन बीजेडी ने इसका दुरुपयोग किया है। यहां तक कि पुरी में भगवान जगन्नाथ का मंदिर भी इस सरकार में सुरक्षित नहीं है। उन्होंने पिछले छह वर्षों से भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार (खजाना) की गायब चाबियों पर चिंता व्यक्त की।

प्रधानमंत्री मोदी ने कटक की विभिन्न समस्याओं को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि कटक नदियों से घिरा हुआ है, फिर भी यहां पीने का पानी एक समस्या है क्योंकि इस सरकार ने प्रोजेक्ट बंद कर दिया है। पिछले 25 वर्षों से लोगों ने बीजेडी सरकार पर भरोसा जताया है। पूरा ओडिशा अब इस बात पर विचार कर रहा है कि इतने वर्षों में लोगों को क्या मिला। आज भी किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं जबकि आदिवासी इलाकों में स्थिति बदतर हो गई है।