नई दिल्ली, 10 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि उनका जीवन ऐसा रहा है, जिसमें बचपन के दोस्तों के साथ संपर्क ही टूट गया। पॉडकास्ट जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ रिकॉर्डेड अपने पहले पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने यह बात कही। आज जारी किए गए ‘पीपल बाय डब्ल्यूटीएफ’ नामक इस पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने अपने जीवन के अन्य कई पहलुओं पर भी चर्चा की है।
‘सीएम बनने के बाद मैंने दोस्तों को बुलाया तो बातचीत में दोस्ती नहीं दिखी‘
पीएम मोदी ने कामथ के साथ पॉडकास्ट में कहा, ‘मैंने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया था। इसके कारण स्कूली दोस्तों से भी संपर्क नहीं रह पाया। मेरे जीवन में तू कहने वाला कोई बचा ही नहीं। मैं तो जब सीएम बना तो इच्छा थी कि स्कूली दोस्तों को बुलाकर बैठा जाए। मैंने बुलाया और करीब 35 लोग आए भी, लेकिन उनसे बातचीत में दोस्ती नहीं दिखी।’
‘मैं उनमें दोस्त खोज रहा था, लेकिन उन्हें मेरे भीतर सीएम ही नजर आ रहा था‘
उन्होंने कहा, ‘सीएम बनने के बाद दोस्तों के साथ बैठने में मुझे आनंद नहीं आ सका। इसकी वजह थी कि मैं उनमें दोस्त खोज रहा था, लेकिन उन्हें मेरे भीतर मुख्यमंत्री ही नजर आ रहा था। यह खाई पटी ही नहीं और मेरे जीवन में कोई तू कहने वाला बचा ही नहीं।’
‘मेरे टीचर रासबिहारी मणियार ही थे, जो मुझे तू कहकर संबोधित करते थे‘
पीएम मोदी ने कहा, ‘मुझे ज्यादातर लोग बहुत औपचारिक और सम्मानजनक ढंग से ही संबोधित करते हैं। तू कहने वाले मेरी जिंदगी में नहीं रहे। मेरे एक टीचर थे – रासबिहारी मणियार। वह मुझे चिट्ठी लिखते थे तो हमेशा तू लिखते थे। उनका हाल ही में 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह आखिरी और एकमात्र व्यक्ति रहे, जो मुझे तू कहकर संबोधित करते थे।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं जब गुजरात का सीएम बना तो मेरी दूसरी इच्छा थी कि अपने सभी अध्यापकों का सार्वजनिक रूप से सम्मान करूंगा। मैंने इसके लिए सभी अध्यापकों को ढूंढा और सीएम बनने के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम करके सबको सम्मान दिया। मेरे मन में एक मैसेज था कि मैं जो कुछ भी हूं, उसमें इन लोगों का भी योगदान है।’
‘मैं स्कूल में कभी उत्कृष्ट छात्र नहीं था….‘
अपना बचपन याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं स्कूल में कभी उत्कृष्ट छात्र नहीं था, लेकिन मेरे एक टीचर बहुत प्रोत्साहित करते थे। मैंने हमेशा यह ध्यान रखा है कि मिशन के साथ काम किया जाए।’ राजनीति में सफलता के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, ‘जरूरी यह है कि हम एंबिशन नहीं बल्कि मिशन के बारे में सोचें।’
‘आज की राजनीति में महात्मा गांधी कहां फिट बैठते‘
उन्होंने कहा, ‘आज की राजनीति की बात करें तो फिर उस हिसाब से महात्मा गांधी जी कहां फिट बैठते हैं। वह तो दुबले-पतले थे और साधारण रहते थे। फिर भी महान रहे और उसकी वजह थी कि उनका जीवन बोलता था। इसलिए भाषण कला से ज्यादा जरूरी है, संचार कला।’
‘महात्मा गांधी ने टोपी नहीं पहनी, पर दुनिया ने पहनी गांधी टोपी‘
पीएम मोदी ने कहा, ‘महात्मा गांधी अपने हाथ में खुद से भी ऊंचा डंडा रखते थे, लेकिन अहिंसा की बात करते थे और लोग उसे मानते थे। उन्होंने कभी टोपी नहीं पहनी, लेकिन दुनिया गांधी टोपी पहनती रही। महात्मा गांधी ने राजनीति की, लेकिन कभी सत्ता पर नहीं आए। फिर उनके निधन के बाद समाधि का नाम राजघाट पड़ा।’