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प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार ग्रहण करने के बाद  बोले पीएम मोदी – लता दीदी उम्र और कर्म दोनों में बड़ी थीं

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मुंबई, 24 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिवंगत स्वर कोकिला लता मंगेशकर के पिता मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की 80वीं पुण्यतिथि पर रविवार की शाम यहां प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मंगेशकर परिवार और मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में पुरस्कार ग्रहण करने के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ‘इस बार कलाई सूनी रह जाएगी। दीदी राखी पर नहीं होंगी। लता दीदी मेरे लिए बड़ी बहन की तरह थीं, कई दशक बाद आने वाला रक्षाबंधन का त्योहार उनके बिना होगा। लता दीदी उम्र और कर्म दोनों में बड़ी थीं।’

‘मैं इस पुरस्कार को सभी देशवासियों के लिए समर्पित कर रहा हूं’

पीएम मोदी ने कहा, ‘सामान्य तौर पर मैं पुरस्कार व सम्मान आदि से परहेज रखता हूं। लेकिन पुरस्कार जब लता दीदी जैसी बड़ी बहन के नाम पर हो तो उसके लिए यहां आना  मेरा दायित्व बन गया। मैं इस पुरस्कार को सभी देशवासियों के लिए समर्पित कर रहा हूं। जिस तरह लता दीदी जन-जन की थीं। उसी तरह उनके नाम से मुझे दिया गया यह पुरस्कार भी जन-जन का है।’

मंगेशकर परिवार और मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान चैरिटेबल ट्रस्ट ने एक बयान में कहा कि उन्होंने लता मंगेशकर के सम्मान और स्मृति में इस वर्ष से पुरस्कार की शुरुआत करने का निर्णय लिया है, जिनका फरवरी में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।

प्रधानमंत्री मोदी मुंबई में महान गायिका के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे, जिन्हें वह अपनी बड़ी बहन मानते थे। लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार हर साल केवल एक व्यक्ति को दिया जाएगा जिसने राष्ट्र, उसके लोगों और समाज के लिए अनुकरणीय योगदान दिया है।

बयान में कहा गया है, ‘हम यह घोषणा करते हुए प्रसन्न और सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि प्रथम पुरस्कार विजेता कोई और नहीं बल्कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।’ बयान के अनुसार मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार का उद्देश्य संगीत, नाटक, कला, चिकित्सा और सामाजिक कार्य के क्षेत्र के दिग्गजों को सम्मानित करना है।

इस अवसर पर दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख और जैकी श्रॉफ को ‘सिनेमा के क्षेत्र में समर्पित सेवाओं’ के लिए मास्टर दीनानाथ पुरस्कार (विशेष सम्मान) प्रदान किया गया। राहुल देशपांडे को भारतीय संगीत के लिए मास्टर दीनानाथ पुरस्कार मिला जबकि जबकि सर्वश्रेष्ठ नाटक का पुरस्कार ‘संजय छाया’ नाटक को दिया प्रदान किया गया।