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आतंकवाद के खिलाफ कुवैत का साथ पाकर पीएम मोदी स्वदेश लौटे, दोनों देशों के बीच रक्षा समेत 4 अहम समझौते

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नई दिल्ली, 22 दिसम्बर। सीमा पार से जारी आतंकवाद के खिलाफ भारत को खाड़ी क्षेत्र के एक और देश कुवैत का साथ मिल गया है। 43 वर्षों बाद इस मध्य पूर्व देश के दो दिवसीय दौरे पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी बड़ी उपलब्धि के साथ रविवार देर रात स्वदेश लौट आए।

आतंकवाद के खिलाफ भारत का साथ देने का एलान

दरअसल, भारत और कुवैत ने एक संयुक्त बयान में सीमा पार समेत हर तरह के आतंकवाद की निंदा की है और आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाहों और उन्हें वित्तीय मदद देने वाली व्यवस्था को खत्म करने की मांग की। कुवैत ने हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग का एलान किया। भारत लगातार पड़ोसी देश पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है और यह संयुक्त बयान पाकिस्तान पर निशाना है। उल्लेखनीय है कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को खाड़ी क्षेत्र के संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देशों का भी समर्थन मिलता रहा है।

कुवैत भी होगा रणनीतिक साझेदार

दौरे के दूसरे व अंतिम दिन रविवार को मोदी की अमीर शेख मेशाल, क्राउन प्रिंस और वहां के पीएम से मुलाकातों के बाद विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया कि कुवैत खाड़ी क्षेत्र में भारत का एक और रणनीतिक साझेदार देश होगा। इस क्षेत्र में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ भारत पहले ही विशेष रणनीतिक साझेदारी स्थापित कर चुका है।

रक्षा क्षेत्र में हुआ ऐतिहासिक समझौता

कुवैत व भारत के बीच रक्षा क्षेत्र में व्यापक सहयोग करने को लेकर एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है। दरअसल, कुवैत खाड़ी के देशों के संगठन जीसीसी का अगले माह अध्यक्ष बनने जा रहा है और माना जा रहा है कि पीएम मोदी की इस यात्रा के बाद समग्र तौर पर जीसीसी के साथ भारत के रिश्तों में और मजबूती आएगी।

बायन महल में हुई पीएम मोदी की बैठक

कुवैत प्रशासन में सत्ता के सबसे उच्चस्तर पर आसीन मेशाल के साथ पीएम मोदी की यह पहली बैठक थी, जो प्रसिद्ध बायन महल में हुई। यहीं पर दोनों के बीच भारत और कुवैत के मौजूदा रिश्तों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने की सहमति बनी। कुवैत में रहने वाले 10 लाख भारतीयों की खासतौर पर देखभाल करने के लिए पीएम मोदी ने मेशाल को धन्यवाद कहा।

कुवैत ने मांगी भारत से मदद

इस बीच कुवैत सरकार ने अपने देश की प्रगति के लिए वर्ष 2035 की एक योजना तैयार की है और इसमें भारत से हर तरह की मदद मांगी है। इसके बाद मोदी की क्राउन प्रिंस से मुलाकात हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच संयुक्त राष्ट्र जैसी एजेंसियों में करीबी सहयोग स्थापित करने पर बात हुई। अंत में मोदी की कुवैत के अपने समकक्ष अल-अबदुल्ला से मुलाकात हुई। इसमें कारोबार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।

पीएम मोदी ने KIA को दिया भारत में निवेश का न्योता

मोदी ने इस बैठक में कुवैती इंवेस्टमेंट अथॉरिटी (KIA) को भारत के रक्षा, ऊर्जा, फार्मा, फूड पार्क जैसे अपार संभावनाओं वाले क्षेत्रों में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। केआइए के पास नवम्बर, 2024 तक 970 अरब डॉलर का फंड है। यह दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी फंड प्रबंधन कम्पनी है, जिसने अमेरिका व यूरोप की प्रमुख कम्पनियों में निवेश किया है। इससे पहले पीएम मोदी ने यूएई की सोवरेन फंड को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाई थी। सोवरेन फंड भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश कर रही है।

4 समझौतों पर हस्ताक्षर

दोनों प्रधानमंत्रियों के समक्ष भारत व कुवैत के बीच चार समझौते हुए। इसमें सबसे अहम रहा रक्षा क्षेत्र में सहयोग स्थापित करने वाला समझौता। अन्य समझौते खेल, संस्कृति और सौर ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने से संबंधित रहे।

शोध और विकास का रास्ता खुलेगा

विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस समझौते से संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा क्षेत्र में साझा शोध व विकास का रास्ता खुल गया है। इस तरह से भारत दुनिया के बेहद गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है, जिनका खाड़ी क्षेत्र के कई देशों के साथ रक्षा संबंध हैं और इनके साथ मिलकर भारत अलग-अलग सैन्य क्षेत्रों में सहयोग स्थापित कर रहा है। पीएम मोदी ने कुवैत के तीनों शीर्ष नेताओं को भारत आने के लिए आमंत्रित भी किया है।

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