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पीएम मोदी ने रखी देश के सबसे बड़े बंदरगाह की आधारशिला, 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का लोकर्पण भी किया

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पालघर, 30 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के पालघर जिले में वाधवन बंदरगाह की आधारशिला रखी और लगभग एक हजार 560 करोड़ रुपये की 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया। इसके साथ ही उन्होंने मछुआरों को ट्रांसपोंडर और किसान क्रेडिट कार्ड भी वितरित किए।

पिछले दशक में भारत के तटों का अभूतपूर्व विकास हुआ

पीएम मोदी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि पिछले दशक में भारत के तटों का अभूतपूर्व विकास हुआ है। सरकार ने बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और जलमार्गों के विकास के लिए करोड़ों रुपये निवेश किए हैं। इस क्षेत्र में निजी निवेश भी बढ़ा है, जिससे युवाओं को नए अवसर मिले हैं।

वाधवन बंदरगाह महाराष्ट्र के साथ देश की आर्थिक प्रगति में नई शक्ति भरेगा

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पालघर में आज जिस वाधवन पोर्ट की नींव रखी गई है, वह महाराष्ट्र के साथ-साथ देश की आर्थिक प्रगति में नई शक्ति भरेगा। नया भारत अपने गौरव और सामर्थ्य को पहचानता है। यही वजह है कि समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर में मील के नए पत्थर लगाए जा रहे हैं।’

वाधवन बंदरगाह परियोजना की लागत 76 हजार करोड़ रुपये

वाधवन बंदरगाह परियोजना की लागत 76 हजार करोड़ रुपये है। इसका उद्देश्य एक विश्व स्तरीय समुद्री प्रवेश द्वार स्थापित करना है। यह बड़े कंटेनर जहाजों की आपूर्ति के साथ बहुत बड़े मालवाहक जहाजों को समायोजित कर देश के व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

पालघर जिले के दहानू शहर के पास स्थित वाधवन बंदरगाह भारत के सबसे बड़े गहरे पानी के बंदरगाहों में से एक होगा। यह पारगमन समय और लागत को कम करते हुए अंतरराष्ट्रीय पोत परिवहन मार्गों के साथ सीधा संपर्क प्रदान करेगा।

वाधवन पोर्ट पर पूरी दुनिया की नजर

पीएम मोदी ने इसके साथ ही बताया कि वाधवन पोर्ट पर पूरी दुनिया की नजर क्यों हैं। उन्होंने कहा, ‘आज वाधवन पोर्ट पर पूरी दुनिया की नजर है। दुनिया में वाधवन पोर्ट की बराबरी करने वाले 20 मीटर जितनी गहराई वाले बहुत कम बंदरगाह हैं। इस पोर्ट पर हजारों जहाज आएंगे, कंटेनर आएंगे। इस पूरे क्षेत्र की आर्थिक तस्वीर बदल जाएगी। सरकार वाधवन पोर्ट को रेल और हाईवे कनेक्टिविटी से भी जोड़ेगी। कितने ही नए-नए व्यापार इस पोर्ट की वजह से शुरू होंगे। यहां वेयरहाउसिंग के काम में बहुत तेजी आएगी और इसकी लोकेशन तो सोने पर सुहागा है। वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे सब कुछ बहुत पास है। पूरे साल यहां से कार्गो आएगा-जाएगा। इसका सबसे ज्यादा लाभ महाराष्ट्र के लोगों को मिलेगा।’

पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार ने फिशरीज सेक्टर में किए कई अहम रिफॉर्म

उल्लेखनीय है कि मात्स्यिकी और जलीय कृषि भारत में लगभग तीन करोड़ मछुआरों और मत्स्य किसानों को आजीविका प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण माध्यम है। पिछले 10 वर्षों में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने फिशरीज सेक्टर में कई अहम रिफॉर्म किए हैं। मात्स्यिकी क्षेत्र में भारत सरकार ने 2019 में मत्स्य पालन विभाग और नए मंत्रालय की स्थापना की। साथ मात्स्यिकी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया।

सरकार इस सेक्टर में 38,500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर रही

पीएम मोदी के विजन के तहत सरकार इस सेक्टर में 38,500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर रही है। मात्स्यिकी एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि के तहत ऋण लेना अब सरल और सहज हो गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना नई तकनीकों के उपयोग द्वारा उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने में अहम साबित हो रही है। लगभग 44 हजार फिशिंग वेसल्स की सुरक्षित लैंडिंग और वर्किंग के लिए 113 फिशिंग हार्बर और फिश लैंडिंग सेंटर्स को मंजूरी दी गई है, जिससे 14 लाख मछुआरों और संबंधित हित धारकों को लाभ होगा।

मत्स्य उत्पादन में वृद्धि के लिए रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम, बायो फ्लॉक, केज और रेसवे जैसी प्रौद्योगिकी के लिए सहायता प्रदान की जा रही है। समूह दुर्घटना बीमा कवरेज के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। इसके साथ-साथ मत्स्यन गतिविधि में प्रतिबंध अवधि के दौरान मछुआरों को आजीविका सहायता प्रदान की गई है।

मत्स्य उत्पादन 175 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

मत्स्य उत्पादन 175 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। साथ ही अंतरदेशीय मात्स्यिकी और जलीय कृषि उत्पादन तथा समुद्री खाद्य निर्यात दोगुना हो गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत एक नई उपयोजना है। इस नई उपयोजना को मंजूरी मिल गई है।