शिमला, 17 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की संसद विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों का आह्वान किया है कि आजादी के अमृत काल में अगले 25 वर्षों तक सदनों में वे बार-बार ‘कर्तव्य’ के मंत्र पर जोर दें तथा विधायी निकायों के सदनों में गुणवत्तापूर्ण परिचर्चा के लिए अलग से समय निर्धारित करें, जिसमें मर्यादा, गंभीरता एवं अनुशासन हो तथा इससे स्वस्थ लोकतंत्र का मार्ग प्रशस्त हो।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में संसद एवं विधानमंडलों के 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह आह्वाहन किया।
Addressing the All India Presiding Officers’ Conference. https://t.co/wpyaE2G6Qk
— Narendra Modi (@narendramodi) November 17, 2021
‘सदन में हमारा आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो’
पीएम मोदी ने सदन में नई कार्यप्रणाली को लेकर अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए कहा, “हमारे सदन की परम्पराएं और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हों, हमारी नीतियां, हमारे कानून भारतीयता के भाव को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को मजबूत करने वाले हों। सबसे महत्वपूर्ण, सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो, ये हम सबकी जिम्मेदारी है।”
जनप्रतिनिधियों का अनुभव सुनने के लिए सदन में अलग सत्र रखा जाए
उन्होंने पीठासीन अधिकारियों के समक्ष विचारणीय प्रश्न रखते हुए सुझाव दिया कि क्या साल में 3-4 दिन सदन में ऐसे रखे जा सकते हैं, जिसमें समाज के लिए कुछ विशेष कर रहे जनप्रतिनिधि अपना अनुभव बताएं, अपने समाज जीवन के इस पक्ष के बारे में भी देश को बताएं। आप देखिएगा, इससे दूसरे जनप्रतिनिधियों के साथ ही समाज के अन्य लोगों को भी कितना कुछ सीखने को मिलेगा। इससे रचनात्मक समाज के लोगों को भी राजनीतिज्ञों के प्रति नकारात्मक भाव को कम करके उनसे जुड़ने और स्वयं राजनीति से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी। इस प्रकार से राजनीति में बहुत परिवर्तन आएगा।
प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृतकाल से लेकर आजादी के शताब्दी वर्ष के बीच 25 वर्षों के दौरान देश में कर्त्तव्य को सर्वाधिक महत्व दिए जाने का आह्वान करते हुए कहा, ‘अगले 25 वर्ष भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसमें हम एक ही मंत्र को चरितार्थ कर सकते हैं क्या – कर्तव्य, कर्तव्य, कर्तव्य।’
कार्यशैली में कर्त्तव्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए
उन्होंने कहा कि हर बात में कर्त्तव्य सर्वोपरि है। 50 साल की कार्यशैली में कर्त्तव्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सदनों में ये संदेश बार बार दोहराया जाएगा तो देश के नागरिकों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। यह 130 करोड़ भारतीयों को कर्त्तव्य का बोध कराके देश को कई गुना बढ़ाने का मंत्र है।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को ओम बिरला के साथ राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार, विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने भी संबोधित किया। सम्मेलन में देश के सभी राज्यों के पीठासीन अधिकारी भाग ले रहे हैं।
शिमला में ही 100 वर्ष पहले पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की हुई थी शुरुआत
देश के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की शुरुआत 1921 में हुई थी और पहला सम्मेलन शिमला में हुआ था। इसलिए शताब्दी सम्मेलन का आयोजन भी शिमला में किया जा रहा है। तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन समारोह के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल होंगे।