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पीएम मोदी ने वाराणसी में 2000 करोड़ की 27 परियोजनाओं का लोकार्पण किया और आधारशिला रखी

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वाराणसी, 23 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गुरुवार को दो हजार करोड़ से अधिक की 27 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण किया और आधारशिला रखी।

475 करोड़ की लागत से बनेगा बनास डेयरी संकुल

पीएम मोदी ने करखियांव में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण फूड पार्क में बनास डेयरी संकुल की भी आधारशिला रखी। करीब 30 एकड़ में फैली इस डेयरी का निर्माण लगभग 475 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा और इसमें प्रतिदिन पांच लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण की सुविधा होगी। इसी क्रम में उन्होंने रामनगर में दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ संयंत्र के लिए बायोगैस आधारित बिजली उत्पादन संयंत्र की आधारशिला रखी।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की मदद से भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा विकसित दुग्ध उत्पादों की मूल्यांकन योजना के एक पोर्टल की शुरूआत की और ‘लोगो’ जारी किया।

पीएम मोदी ने वर्चुअल माध्‍यम से स्वामित्व योजना के तहत राज्य के 20 लाख से अधिक निवासियों को ग्रामीण आवासीय अधिकार रिकॉर्ड ‘घरौनी’ का वितरण किया। उन्होंने वाराणसी में शहरी विकास और शिक्षा क्षेत्र की कई परियोजनाओं का भी लोकार्पण किया।

बनास डेयरी संयंत्र की विशेषताएं

बनास डेयरी संयंत्र में दूध के अलावा प्रतिदिन 50 हजार लीटर आइसक्रीम, 20 टन पनीर, छाछ, दही, लस्सी और अमूल मिठाई का उत्पादन होगा। संयंत्र में एक बेकरी भी होगी, जिसमें महिलाओं और बच्चों के लिए पूरक पोषाहार के उत्पादन के लिए एक टेक होम राशन संयंत्र भी शामिल है।

इस परियोजना से पूर्वांचल के वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर और आजमगढ के एक हजार गांवों के स्थानीय किसानों को लाभ होगा और उन्हें दूध के लिए प्रति माह आठ हजार से दस हजार रुपये तक मिलेंगे।

बिजली उत्पादन संयंत्र में में प्रतिदिन सौ मीट्रिक टन गोबर का उपयोग होगा

वाराणसी के रामनगर में प्रस्‍तावित बायोगैस पर आधारित  बिजली उत्पादन संयंत्र अनूठा है और इसमें प्रतिदिन करीब सौ मीट्रिक टन गोबर का उपयोग किया जाएगा, जिसे गोशालाओं से एकत्रित किया जाएगा। डेयरी संयंत्र से दस किलोमीटर के दायरे में गोबर की आपूर्ति करने वाले किसानों को लगभग एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किया जाएगा। वाराणसी डेयरी संयंत्र देश का पहला डेयरी संयंत्र होगा, जो गाय के गोबर से अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा।