नई दिल्ली, 28 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के निकट स्थित ऐतिहासिक जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक के नवीकृत परिसर शुक्रवार को देश को समर्पित किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी शरीक हुए।
पीएम मोदी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, ‘पंजाब की वीर भूमि को, जलियांवाला बाग की पवित्र मिट्टी को, मेरा प्रणाम। मां भारती की उन संतानों को भी नमन, जिनके भीतर जलती आजादी की लौ को बुझाने के लिए अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी गईं।’ पीएम मोदी ने विभाजन की विभीषिका को याद करते हुए कहा कि किसी भी देश के लिए अपने अतीत की ऐसी विभीषिकाओं को नजरअंदाज करना सही नहीं है। इसलिए, भारत ने 14 अगस्त को हर वर्ष ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जलियांवाला बाग जैसी ही एक और विभीषिका हमने भारत विभाजन के समय भी देखी है। पंजाब के परिश्रमी और जिंदादिल लोग तो विभाजन के बहुत बड़े भुक्तभोगी रहे हैं। विभाजन के समय जो कुछ हुआ, उसकी पीड़ा आज भी हिन्दुस्तान के हर कोने में और विशेषकर पंजाब के परिवारों में हम अनुभव करते हैं।’
ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत भारतीयों को अफगानिस्तान से लाया जा रहा
पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनियाभर में कहीं भी, कोई भी भारतीय अगर संकट से घिरता है तो भारत पूरे सामर्थ्य से उसकी मदद के लिए खड़ा हो जाता है। कोरोना काल हो या फिर अफगानिस्तान का संकट, दुनिया ने इसे निरंतर अनुभव किया है। ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से सैकड़ों साथियों को भारत लाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘13 अप्रैल, 1919 के वो 10 मिनट, हमारी आजादी की लड़ाई की वो सत्यगाथा बन गए, जिसके कारण आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना पा रहे हैं। ऐसे में आजादी के 75वें वर्ष में जलियांवाला बाग स्मारक का आधुनिक रूप देश को मिलना, हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का अवसर है।’ उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग वो स्थान है, जिसने सरदार उधम सिंह, सरदार भगत सिंह जैसे अनगिनत क्रांतिवीरों, बलिदानियों, सेनानियों को हिन्दुस्तान की आजादी के लिए मर-मिटने का हौसला दिया।
आजादी के महायज्ञ में आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान
आदिवासी समाज के योगदान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘आजादी के महायज्ञ में हमारे आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान है। इतिहास की किताबों में इसको भी उतना स्थान नहीं मिला, जितना मिलना चाहिए था। देश के नौ राज्यों में इस समय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और उनके संघर्ष को दिखाने वाले म्यूजियम्स पर काम चल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘देश की ये भी आकांक्षा भी थी कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे सैनिकों के लिए राष्ट्रीय स्मारक होना चाहिए। मुझे संतोष है कि नेशनल वॉर मेमोरियल आज के युवाओं में राष्ट्र रक्षा और देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने की भावना जगा रहा है।’
नए रूप में दिखेगा जलियांवाला बाग स्मारक
जलियांवाला बाग का केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ‘ज्वाला स्मारक’ की मरम्मत करने के साथ-साथ इसका पुनर्निर्माण किया गया है। यहां स्थित तालाब को एक ‘लिली तालाब’ के रूप में फिर से तैयार किया गया है। लोगों को आने-जाने में सुविधा के लिए यहां के रास्तों को चौड़ा भी किया गया है।
जलियांवाला बाग की इमारत लंबे समय से बेकार पड़ी थी। इसका उपयोग भी काफी कम था, इसलिए इमारतों का दोबारा उपयोग में लाने के लिए चार संग्रहालय दीर्घाएं बनाई गई हैं। ये दीर्घाएं उस अवधि के दौरान पंजाब में घटित विभिन्न घटनाओं के विशेष ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। इन घटनाओं को दिखाया जाएगा। इस दौरान मैपिंग और 3डी चित्रण के साथ-साथ कला एवं मूर्तिकला जैसी चीजें भी दिखाई जाएंगी।