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पीएम मोदी ने किया अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन का उद्घाटन, कहा – महिला आरक्षण कानून विकास को देगा नई दिशा

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नई दिल्ली, 23 सितम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार जितना संभव हो सके, आसान तरीके से और भारतीय भाषाओं में कानून बनाने की दिशा में ईमानदारी से प्रयास कर रही है। यहां अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि कानून लिखने और न्यायिक प्रक्रिया में जिस भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, वह न्याय सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका निभाती है।

पीएम मोदी विधि क्षेत्र के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत सरकार में हम लोग सोच रहे हैं कि कानून दो तरीकों से पेश किया जाना चाहिए। एक मसौदा उस भाषा में होगा, जिसका आप इस्तेमाल करते हैं। दूसरा मसौदा उस भाषा में होगा, जिसे देश का आम आदमी समझ सकता है। उन्हें अपनी भाषा में कानून समझ आना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि कानून को जटिल भाषा में बनाने का चलन रहा है। विधि समुदाय की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका और बार भारत की न्याय प्रणाली के लंबे समय से संरक्षक रहे हैं और वे भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, बी आर आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल भी वकील थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह बना है। संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह महिलाओं की अगुवाई में विकास को एक नयी दिशा तथा ऊर्जा देगा। उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन और सफल चंद्रयान मिशन की भी बात की।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत 2047 तक विकसित देश बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है जिसके लिए उसे मजबूत और निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत पर दुनिया के बढ़ते विश्वास में निष्पक्ष न्याय की एक बड़ी भूमिका है।

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