पुणे, 1 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज पुणे में लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिन्द स्वराज संघ की ओर से सम्मान मिलने के बाद पीएम मोदी ने संस्था के प्रति आभार जताया और कहा, ‘लोकमान्य तिलक पुस्कार सरीखा सम्मान प्राप्त कर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। यह मेरे लिए बहुत सम्मान और सौभाग्य की बात है।’
मराठी से पीएम मोदी ने की भाषण की शुरुआत
पीएम मोदी ने समारोह में अपने संबोधन की शुरुआत मराठी भाषा से की। उन्होंने एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीएम एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्रीद्वय देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार, तिलक ट्रस्ट के अध्यक्ष दीपक मान्य सहित मंच पर मौजूद सभी गणमान्य व्यक्तियों का धन्यवाद किया। लोकमान्य तिलक पुरस्कार में मिली धन राशि को पीएम मोदी ने नमामि गंगे को समर्पित किया। उन्होंने कहा, ‘इस राष्ट्रीय पुरस्कार में मिली धन राशि को मां गंगा को समर्पित करता हूं।’
पीएम मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘पुणे की धरती से लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित होना मेरे लिए गर्व की अनुभूति है। यह धरती छत्रपति शिवाजी महाराज, ज्योदिबा बाई फूले जैसी महान विभूतियों का है। इस धरती से सम्मान मिलना मेरे जीवन का अविष्मरणीय अनुभव है। जो जगह, जो संस्था सीधे लोकमान्य से जुड़ी रही हो, उसके द्वारा लोकमान्य तिलक पुस्कार मिलना यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं इस सम्मान के लिए हिन्द स्वराज संघ का और आप सभी का पूरी विनम्रता के साथ आभार और प्रणाम व्यक्त करता हूं। पुणे की धरती से सम्मानि होना गर्व की अनुभूति है।’
‘एक-दूसरे पर भरोसे से ही हम मजबूत होंगे‘
मंच पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार की मौजूदगी में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘एक-दूसरे पर भरोसा ही देश को मजबूत बनाएगा। अगर अविश्वास का माहौल है तो विकास असंभव है।’
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अग्रिम कतार में थे लोकमान्य तिलक
पीएम मोदी ने कहा कि लोकमान्य तिलक स्वतंत्र प्रेस के महत्व का समझते थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल दी। अंग्रेजों ने उन्हें भारतीय अशांति का जनक कहा था।उन्होंने कहा कि वह लोकमान्य तिलक के नाम पर पुरस्कार पाकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रिम कतार में थे। उन्होंने यदि विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर रखी गई चीजों का नाम बदल दिया जाता है तो आज कुछ लोग असहज हो जाते हैं।
भारत में पहली सर्जिकल स्ट्राइक छत्रपति शिवाजी के कार्यकाल में हुई थी
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकमान्य तिलक में युवा प्रतिभाओं की पहचान करने की अनूठी क्षमता थी। वीर सावरकर इसका एक उदाहरण थे। तिलक को वीर सावरकर की क्षमता का एहसास हुआ और उन्होंने विदेश में उनकी शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब किसी पुरस्कार का नाम लोकमान्य तिलक के नाम पर रखा जाता है तो जिम्मेदारी बढ़ जाती है। प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में पुणे के योगदान की भी सराहना की।
इस अवसर पर शरद पवार ने कहा कि भारत में पहली सर्जिकल स्ट्राइक छत्रपति शिवाजी के कार्यकाल में हुई थी। राकांपा नेता ने कहा कि देश ने दो युग देखे हैं – एक तिलक का और दूसरा महात्मा गांधी का।