नई दिल्ली, 22 सितम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को चांदी से बने हस्तनिर्मित प्राचीन रेलगाड़ी का मॉडल उपहार में दिया। यह महाराष्ट्र के कारीगरों द्वारा तैयार की गई एक दुर्लभ और असाधारण कलाकृति है, जो भारतीय धातु शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाती है। अधिकारियों ने बताया कि इस प्राचीन कलाकृति में जटिल काम किया गया है और यह 92.5 प्रतिशत चांदी से बनी है। यह कलाकृति भाप इंजन चालित रेलगाड़ी के युग को समर्पित है। यह कलात्मक प्रतिभा और ऐतिहासिक महत्व का मिश्रण है।
उन्होंने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाते हुए इस मॉडल में भारत में यात्री ट्रेन में प्रयुक्त मानक प्रारूप के आधार पर अंग्रेजी और हिन्दी में मुख्य डिब्बे के दोनों ओर ‘दिल्ली-डेलावेयर’ और इंजन के दोनों ओर ‘भारतीय रेलवे’ लिखा गया है। यह कलाकृति न केवल कारीगरी के असाधारण कौशल को दर्शाती है, बल्कि भारतीय रेलवे के लंबे इतिहास और इसके वैश्विक प्रभावों का एक शानदार प्रमाण भी है।
अधिकारियों ने बताया कि मोदी ने अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडेन को ‘पापियर माशे’ (कागज की लुगदी) डिब्बे में रखी पश्मीना शॉल भेंट कीं। पश्मीना शॉल जम्मू-कश्मीर की हस्तकला की समृद्ध और बेहतरीन विरासत का नमूना है। उन्होंने बताया कि समकालीन डिजाइनर आधुनिक कला, अधिक गाढ़े रंगों, नए-नए पैटर्न और ‘फ्यूजन’ (दो या अधिक कलाओं के मेल) शैलियों के साथ पश्मीना कारीगरी में प्रयोग कर रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होता है कि पश्मीना की विरासत प्रासंगिक बनी रहे और यह विभिन्न पीढ़ियों और संस्कृतियों के दिलों को लुभाती रहे। पश्मीना शॉल पारंपरिक रूप से जम्मू-कश्मीर से ‘पापियर माशे’ डिब्बे में पैक करके दी जाती हैं। ये डिब्बे अपनी मनमोहक सुंदरता और शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। ये कागज की लुगदी, गोंद और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों के मिश्रण का उपयोग करके हाथ से बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रत्येक डिब्बा कला का एक अनूठा नमूना है, जो कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। अधिकारियों ने कहा कि ये डिब्बे न केवल उपयोगी हैं, बल्कि सजावट में भी काम आते हैं।