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पीएम मोदी ने गयाना की संसद में दुनिया को दिया शांति का मंत्र – ‘लोकतंत्र हमारे DNA में, मानवता सर्वप्रथम..’

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जॉर्जटाउन (गयाना), 21 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तीन देशों की पांच दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन गुरुवार को गयाना की संसद के एक विशेष सत्र को संबोधित किया। पीएम ने विश्वबंधु के रूप में भारत की भूमिका को समझाते हुए कहा कि भारत हमेशा से लोकतंत्र पहले, मानवता पहले की भावना के साथ वैश्विक स्तर पर अपना कर्तव्य निभाता है। भारत ने दिखा दिया कि लोकतंत्र हमारे डीएनए, दृष्टिकोण और कार्यों में है।

पीएम मोदी ने भारत व गयान के कूटनीतिक रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं। यह मिट्टी, पसीने और परिश्रम का रिश्ता है। करीब 180 वर्ष पहले एक भारतीय गयाना की धरती पर आया था और उसके बाद से खुशी और गम दोनों ही स्थितियों में भारत 0 गयाना का रिश्ता आत्मीयता से भरा रहा है।

’24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में यहां आया था

उन्होंने कहा, ’24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां ताम-झाम हो चकाचौंध हो… लेकिन मुझे गयाना की विरासत और इतिहास को जानना था, समझना था। आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकात याद होगी। मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं।’

मजबूत लोकतंत्र के रूप में उभर रहे दोनों देश

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दोनों देश पिछले 200-250 साल से समान संघर्ष साझा कर रहे हैं, बावजूद इसके वे दुनिया में मजबूत लोकतंत्र के रूप में उभर रहे हैं। आज दोनों देश दुनिया में लोकतंत्र को मजबूत कर रहे हैं। इसलिए गयाना की संसद में मैं भारत के 140 करोड़ लोगों की ओर से आप सभी का अभिवादन करता हूं।’

डेमोक्रेसी फर्स्ट, ह्यूमैनिटी फर्स्ट का मंत्र

पीएम मोदी ने वैश्विक भलाई पर भी जोर दिया और ‘लोकतंत्र पहले, मानवता पहले’ का मंत्र दिया। उन्होंने कहा, ‘आज विश्व के सामने आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है, डेमोक्रेसी फर्स्ट, ह्यूमैनिटी फर्स्ट। डेमोक्रेसी फर्स्ट की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो, सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। ह्यूमैनिटी फर्स्ट की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है। जब ह्यूमैनिटी फर्स्ट को निर्णयों का आधार बनाते हैं तो नतीजे भी मानवता के हित करने वाले ही होते हैं।’

दुनियाभर में चल रहे संघर्ष पर रखी बात

प्रधानमंत्री ने दुनिया में चल रहे संघर्षों पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ‘दुनिया के लिए यह समय संघर्ष का नहीं है, यह समय संघर्ष पैदा करने वाली कंडीशंस को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेररिज्म, ड्रग्स, साइबर क्राइम… ऐसी कितनी भी चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम संसाधनों पर कब्जे की, संसाधन को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। आज भारत हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है, शांति के पक्ष में खड़ा है। इसी भावना के साथ आज भारत ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है।’

 

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