नई दिल्ली, 26 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में बुधवार की शाम अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर-भारत मंडपम (International Convention Centre -Bharat Mandapam) का उद्घाटन किया।
अमृत महोत्सव काल में भारतीय लोकतंत्र का खूबसूरत उपहार है ‘भारत मंडपम‘
पीएम मोदी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, “आज दुनिया यह स्वीकार कर रही है कि भारत ‘लोकतंत्र की जननी’ है। आज जब हम आज़ादी के 75 वर्ष होने पर ‘अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं, यह ‘भारत मंडपम’ हम भारतीयों द्वारा अपने लोकतंत्र को दिया एक खूबसूरत उपहार है। कुछ हफ्तों बाद यहां G20 से जुड़े आयोजन होंगे। दुनिया के बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष यहां उपस्थित होंगे। भारत के बढ़ते कदम और भारत का बढ़ता कद इस ‘भारत मंडपम’ से पूरी दुनिया देखेगी।” इस दौरान उन्होंने स्मारक टिकट और सिक्के जारी किए।
दिल्ली में दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय बनाया जाएगा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमारी पहली अवधि में भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में 10वें स्थान पर था। हमारी दूसरी अवधि में भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5वें स्थान पर आया। मेरे तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा…ये मोदी की गारंटी है।’ इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय बनाया जाएगा।
अपने संबोधन की शुरुआत में पीएम मोदी ने कहा, ‘आज एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि यह कारगिल विजय दिवस है। हमारे वीर बेटे-बेटियों ने देश के दुश्मनों को हराया। मैं कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले हर नायक को श्रद्धांजलि देता हूं।’
विपक्ष को ‘टोली‘ कहकर कटाक्ष किया
उन्होंने कहा, “कुछ लोगों की प्रवृत्ति होती है टिप्पणी करने और अच्छे कार्यों को रोकने की। जब ‘कर्तव्य पथ’ बन रहा था तो कई बातें ब्रेकिंग न्यूज के तौर पर अखबारों के पहले पन्ने पर चल रही थीं। इसे अदालतों में भी उठाया गया, लेकिन जब इसका निर्माण हुआ तो उन्हीं लोगों ने कहा कि यह अच्छा है। मुझे यकीन है कि ‘टोली’ भी ‘भारत मंडपम’ को स्वीकार करेगी और यह भी संभव है कि वे यहां किसी सेमिनार में व्याख्यान देने आएं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस निर्माण को रोकने के लिए नकारात्मक सोच वालों ने क्या-क्या कोशिशें नहीं की, अदालतों के चक्कर काटे थे। कुछ लोगों की फितरत होती है हर अच्छे काम को रोकने, टोकने की। जब कर्तव्य पथ पर बन रहा था तो न जाने क्या क्या कथाएं चल रही थीं। अखबार, ब्रेकिंग न्यूज में न जाने क्या-क्या चल रहा था। कर्तव्य पथ बनने के बाद वे लोग भी दबी ज़ुबान में कहने लगे कि अच्छा हुआ है।